इन्तजार a beautiful love story in Hindi

 मैं दिल्ली के मुखर्जी नगर में राहत हूं। यह इलाका कोचिंग सेंटर्स के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां पर ज्यादातर लड़के लड़कियां सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए आते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर घर अब छोटे-मोटे दुकान या रेस्टोरेंट में तब्दील हो चुके हैं। मेरा घर भी अब एक छोटे से रेस्टोरेंट में तब्दील हो चुका है। शाम का समय है, और मैं सूर्य की तरफ देख रही हूं जो कि अब ढलान की तरफ है।

आसमान में दो पतंगे एक दूसरे से पेच लड़ा रही थी। जिस तरीके से लाल पतंग दूसरी को मात दे रही थी। मुझे मेरे बेटे मुराद की याद आ रही थी। उसकी चमकती हुई आंखें आज भी मेरी आंखों के सामने हैं।

काम करने से कभी थकता नहीं था। मुझे काम करने के लिए हमेशा पूछता रहता था। पढ़ाई में भी उतना ही तेज था। तभी मेरा ध्यान भारी-भरकम कढ़ाई पर गया। जिसमें अब समोसे तले जा रहे थे। तभी मेरा ध्यान वापस पतंगों की तरफ गया।

पीछे से मुझे दरवाजे के अंदर एक चीख सुनाई दी। मैं गया तो मेरी बीवी रिहाना वहां पर थी। मैंने पूछा क्या हुआ रेहाना? वह मेरे बेटे मुराद की पतंग है। उसे यह कहते हुए रेहाना की आंखों से आंसू छलक पड़े। जो कि अभी तक नहीं बहे थे। मैंने कहा रेहाना वह पतंग मुराद की थोड़ी है।

 क्या तुमने अपनी  दवाइयां ले ली? मैंने बात बदलते हुए कहा। 

तुम्हें पता है आज परीक्षा का रिजल्ट आया है? क्या अब हमारा मुराद वापस आ जाएगा। आज सिविल सर्विसेज परीक्षा के प्रीलिम्स का रिजल्ट आया है। न जाने किसने रेहाना को आज सिविल सर्विस परीक्षा के रिजल्ट के बारे में बता दिया है।

 3 साल पहले हम भी इसी रिजल्ट का इंतजार करते थे। जब हमारा बेटा प्रीलिम्स की तैयारी कर रहा था। हम उसके मुर्दा शरीर को पहचानने की याद आज तक नहीं भूले हैं। उसका मुर्दा शरीर हमें अंदर से कचोट रहा था।

इंतजार

मैं तो फिर भी अपना मन काम में लगाए रहता था। लेकिन रेहाना को अपने बेटे मुराद की याद बार-बार आती थी। मैंने उसे भुलाने के लिए कहा। आज खाने में क्या पकाया है?

कढ़ी चावल बनाया है। मुराद का फेवरेट खाना है। रिहाना ने कहा। अचानक मुझे याद आया कि यह तो आकाश का भी फेवरेट खाना है।

 जिसे मैं बहाना बनाकर उसकी टेबल पर भेज दिया करता था। लेकिन आज सुबह वह भी रेस्टोरेंट में नहीं आया था। मेरा दिल अनजानी आशंका से धड़कने लगा था। मुझे एक अजीब सा डर लग रहा था।

वह लड़का आकाश उससे मेरा रिश्ता बस इतना था कि, वह रोज मेरे रेस्टोरेंट में चाऊमीन या फिर समोसे खाने आता था। ना जाने उसका इंतजार मुझे क्यों बेचैन कर रहा था?

घड़ी रात के 8:00 बजा आ रही थी। मैं सोच रहा था कि आकाश अभी तक क्यों नहीं आया? हो सकता है कि रिजल्ट के कारण उसे दोस्तों ने ही अपने पास रोक लिया हो। या फिर एग्जाम के रिजल्ट आने के बाद घर वालों से बात कर रहा हो। उसी में उलझ कर रह गया शायद आज।

रेहाना की बातों को सुनते हुए मेरी नजर मुराद की तस्वीर पर चली गई थी। कितना सुंदर था मुराद। चेहरे पर लंबे लंबे काले बाल सिर से आ रहे थे। सुंदर गाल भी थी। हालांकि उसकी दाढ़ी मेरी तरह थी। हालांकि मेरी दाढ़ी अब बेतरतीब और खिचड़ी हो चुकी थी। लेकिन उसकी दाढ़ी लेटेस्ट ट्रेंड के अनुसार रहती थी।

अंतिम समय में जाते हुए कह दिया था कि, प्रीलिम्स तो क्लियर कर ही लिया है। अब मेंस और इंटरव्यू रह गया है। एक बार एग्जाम पास हो जाए। सबसे पहले आपको हज की यात्रा करवा लूंगा।

लेकिन थोड़ी ही दिनों बाद मुझे उसकी लाश को कंधा देना पड़ा था। मैंने खिड़की खोली। एक तेज हवा का झोंका मेरे चेहरे से टकराया। मैंने खुदा से और अधिक हिम्मत देने की मांग की।

मैं सोच रहा था कि एक एग्जाम में फेल होना उसके लिए इतना भारी कैसे हो गया था?

 क्या उसके मम्मी पापा की खुशियां उसके एग्जाम में पास होने से ज्यादा जरूरी थी। वह यह क्यों नहीं सोचा कि फांसी के फंदे पर लटकते हुए अपने मम्मी पापा की खुशियों और सांसो का भी गला घोट रहा है। 

दिलों का रिश्ता

अब तो अपना बेटा ही चला गया है रेहाना। मैंने अपनी आंखों से आंसू पोंछते हुए कहा।

 तभी मैंने देखा कि कोई कस्टमर आकाश की टेबल पर आकर बैठने की कोशिश कर रहा है। मैं जोर से चिल्लाया रुको। वह टेबल किसी दूसरे के लिए बुक है। वह लड़का उठा और रेस्टोरेंट से बाहर चला गया। तभी मैं समझ गया कि आकाश ने मेरे रेस्टोरेंट और दिल दोनों में अपने लिए जगह रिजर्व कर ली है।

आकाश और मेरा रिश्ता खास हो चला था। पिछले 6 महीने में हमारी 6 बार ही बात हुई होगी। लेकिन दिलों के रिश्ते ऐसे ही होते हैं।

 मैंने अहमदाबाद में अपनी जमीन और जायदाद बेचकर दिल्ली आने का फैसला किया। मैं चाहता था कि जहां मेरा बेटा अपने दिन बिताए हैं। मैं भी वही रहूं।

यह रेस्टोरेंट्स भी मैंने इसलिए खोल लिया था। ताकि रेहाना का मन लगा रहे। इसे शाम को 5:00 बजे खोलता और आकाश के खाना खाने के बाद लगभग 8:00 बजे बंद कर देता था।

आज शाम के लगभग 9:00 बज चुके थे। लेकिन आकाश अभी तक नहीं आया था। बावर्ची और दूसरे कर्मचारी घर जाने के लिए उतावले हो रहे थे। मैंने बाहर की तरफ देखते हुए उन्हें घर जाने के लिए कहा मैं दाएं बाएं हर तरफ देख रहा था। लेकिन आकाश आज नहीं आया था।

आज एक बार फिर से प्रीलिम्स एग्जाम का रिजल्ट आना और आकाश का रेस्टोरेंट में ना आना, मेरे दिल को डरा रहा था। मैं चिल्ला पड़ा, नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।

मैं एक बार फिर से उन पुराने दिनों में लौट आया। जब हमारे लिए एक-एक दिन काटना मुश्किल होता था। रिहाना की दवाइयों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी। मैं रेहाना का सामना करने से बचने की कोशिश करता था।

जरा सी बात पर हर किसी से झगड़ा करने के लिए तैयार हो जाता था। चाहे वह कर्मचारी हो या फिर रेहाना।

जिंदगी में हर दर्द आपके लिए दवाई साबित नहीं हो सकता है। कई दर्द जिंदगी में धीमे जहर का भी काम करते हैं। मुराद का जाना मेरे लिए ऐसा ही था।

 तभी एक कर्मचारी की आवाज आई। वह कॉर्नर में लड़का एक पाव भाजी के साथ कब से टाइम पास कर रहा है। उसके टाइम पास करने के चक्कर में कस्टमर वापस जा रहे हैं। फिर साहब तो हम ही पर बरसेंगे। कर्मचारी ने कहा। मैं गुस्से में उस कॉर्नर की तरफ आगे बढ़ने लगा। जहां वह लड़का खड़ा था।

मुराद

मैंने उस लड़के को जोर से चीख कर पुकारा। लड़के ने एकदम से मेरी तरफ देखा। उसके काले बालों की लट उसके आंखों तक आ रखी थी। अचानक से मुझे मुराद की याद आई और मैं बोल पड़ा मुराद।

 आज दिन तक भी मुझे वह याद याद है, मैं उसे नहीं भुला पाया हूं।

मुझे बाद में समझ में आ गया था कि एक खास एंगल से ही उसकी शक्ल मुराद से मिलती जुलती थी। वरना उस लड़के की एक अलग शख्सियत थी। फिर भी मैं कोशिश कर रहा था कि यह सम्मोहन ना टूटे। उस लड़के में, मैं मुराद को देखता रहूं।

उस लड़के ने मेरी तरफ देखते हुए कहा जी, क्या हुआ?

 मेरे मुंह से अचानक से निकल गया। आपको कुछ और लेना है? लड़के ने अपनी जेब से कुछ टूटे टूटे नोट निकाले। मैंने उससे कहा, रहने दो मैं हिसाब किताब की डायरी में लिख लिख लूंगा। तुम्हारा जब भी मन हो एक साथ पैसे मुझे दे देना।

लड़के ने डरते हुए कहा जी मैं बलिया से यहां पर सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए आया हूं। पिछली गली में ही कॉर्नर में रहता हूं। लड़का बोले जा रहा था। मैं उसकी डिटेल को नोट कर रहा था। और इसी निगाहों से उसके चेहरे को देख रहा था।

आकाश चाउमीन की प्लेट को देख रहा था। मेरा ध्यान उसकी नजरों की तरफ गया। मैंने कहा हम पहली बार कस्टमर को मुफ्त में चाऊमीन की प्लेट और मोमोस देते हैं। लड़के के मना करने के बावजूद मैंने उसके लिए वह भिजवा दिए। पुराने कस्टमर्स के लिए हम कुछ डिस्काउंट भी देते हैं। मैंने कहा।

 इसके बाद रोजाना आकाश हमारे रेस्टोरेंट में आने लगा। हमारे कर्मचारी मुझे हैरतअंगेज आंखों से देख रहे थे।

आकाश के बहाने मुझे शाम का इंतजार रहने लगा। अबकी बार आकाश को भरपेट खाना खिलाने के लिए क्या बहाना बनऊ? यह सोचते हुए मेरी आंखों की चमक बढ़ने लगी। मैं किसी किसी बहाने से आकाश को 50% से लेकर 80% तक डिस्काउंट दे देता था।

वह पहली बार

यह रात के 10:00 बजे का समय था। इस बार जब रेहाना ने मुराद का जिक्र किया तो, मैंने उसकी तरफ पीठ नहीं की। बल्कि उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। वह मेरा सिर सहलाने लगी। यह पहली बार था जब मैं फूट-फूटकर बच्चों की तरह रोने लगा। मेरा मन कुछ हल्का हो गया था।

कभी-कभी हमें लगता है कि आसमान कोई उम्मीद है और जमीन कोई दर्द में लिखा हुआ अफसाना। इस थकावट भरी जिंदगी में हमें अंतिम यात्रा की तरफ आगे बढ़ने के लिए मजबूर हो जाना पड़ता है। लेकिन तभी लगता है कि कोई हमें सहारा दे रहा है और हमारा दर्द कहीं दूसरे व्यक्ति की तरफ पहुंच रहा है। जो हमें सहारा देता है।

आसमान के उस तरफ कोई तो है। जो हमारी घायल आत्मा को शांति प्रदान करने की कोशिश कर रहा है। मुझे नहीं पता कि वह अपनी कोशिश में कितना कामयाब हो पाता है?

मुराद को खो देने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मानो राहत की बूंदे मेरी ऊपर बरस रही हो। मानो किसी अनजाने व्यक्ति ने मेरा हाथ थाम लिया हो। मेरी जिंदगी में अब अकेलापन दूर हो रहा था।

धीरे-धीरे मैंने बक्से में से मुराद की तस्वीरें उसके कपड़े बचपन के खिलौने बाहर निकालना शुरू कर दिया था। रिहाना जब भी मुराद की बातें करती तो, मेरा दिल इतना नहीं रुकता था। मेरा दिल अब आकाश के लिए दुआ करने का करता था।

अब मैं अपने कर्मचारियों से कभी-कभी बात भी करने लगा था। ग्राहकों को देख कर मुस्कुराने की भी कोशिश करता था। ऐसा लग रहा था कि जिंदगी मानो दोबारा पटरी पर लौट रही है।

मैं सोचता था कि आकाश भी मुस्कुराए तो, देखूं कि क्या मुराद की तरह उसके भी गालों पर गड्ढे पढ़ते हैं? या नहीं। लेकिन आकाश अपनी ही दुनिया में खोया रहता था। उसका बाकी दुनिया की तरफ ध्यान जाता ही नहीं था।

वह सिर्फ अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान रखता था। प्रीलिम्स के एग्जाम जैसे-जैसे नजदीक आते जाते थे। उसका पढ़ाई के प्रति जुनून और ज्यादा बढ़ गया था।

मैं उसके पढ़ाई के प्रति इस जुनून को देखकर पूछना चाहता था कि, क्या तुम्हें तुम्हारी मम्मी पापा की याद आती है? क्या तुम यह तो नहीं सोचते कि तुम्हारे सपने की अहमियत अपने मम्मी पापा से भी ज्यादा हो चुकी है? क्या तुम्हारी हर शाम को उनसे बात होती है?

लेकिन मैं कुछ नहीं पूछ पाता था। ना ही कुछ कह पाता। जिस दिन आकाश की पढ़ाई जल्दी खत्म हो जाती। मैं स्टाफ को भी जल्दी फ्री कर देता था। जिस दिन आकाश एक-दो घंटे एक्स्ट्रा पड़ता। मैं रेस्टोरेंट भी खुला रखता था। स्टाफ मेरी तरफ छुट्टी करने के लिए देखता रहता था।

हिसाब

एक झटके में मैं वर्तमान में आ गया। आकाश दरवाजे से अंदर आ रहा था। उसके आंखें लाल हो रखी थी। वह रो रहा था। उसने मुझसे पूछा, बताइए ना आज दिन तक मेरा कितना हिसाब हो गया? आज मैं पूरा पेमेंट कर देना चाहता हूं। जाने से पहले कोई बकाया नहीं रखना चाहता हूं। आकाश के होंठ कांप रहे थे।

मैंने उससे पूछा क्या घर जा रहे हो?

 आकाश ने जवाब दिया ना कामयाब इंसान कहीं भी जाए। किसी को क्या फर्क पड़ता है! उसकी आंखों में आंसू और गम, साफ तरीके से देख सकता था।

 मेरे मन में आकाश को लेकर एक अजीब सी भावना घर कर गई थी। जिसका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। आज प्रीलिम्स के एग्जाम में आकाश नाकामयाब हो चुका था। मैं इस समय मुराद की कल्पना करने लगा। क्या मुराद के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा?

मैं नहीं सोच सकता था कि मेरी और आकाश की पहली बातचीत इस तरीके से होगी। मैं तो सोचता था कि मैं आकाश को वह बात बताऊंगा। जो मैं कभी मुराद को नहीं कह पाया।

 कि अगर कोई सपना टूट भी जाए तो, जिंदगी की डोर नहीं तोड़ी जाती है। सपने दोबारा देखे जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए जिंदा रहना जरूरी है। मैं उससे कहना चाहता था कि छोटे-मोटे इम्तिहान की नाकामी, हमारी जिंदगी की कहानी अभी तय नहीं कर सकती है।

अभी तक आकाश में हिसाब किताब की भाई के पन्ने पलट दिए थे। लेकिन उसमें कोई हिसाब-किताब नहीं लिखा हुआ था। उसमें वह सब कुछ लिखा हुआ था जो मैं मुराद की जगह आकाश को कहना चाहता था। यह देखकर आकाश की आंखें नम हो गई।

 उसे मैं उसका हाथ पकड़कर अंदर ले गया। अंदर ले जा कर दिखाया। जहां मुराद की किताबें उसके सर्टिफिकेट और फोटो लगे हुए थे। उसने पूछा क्या आपका बेटा मुराद भी कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है?

 तभी अंदर से रेहाना आई उसने कहा मुराद बेटा कितना इंतजार करवाया आने में। इतने दिन कैसे लगाया?

 आकाश वहीं पर बैठ गया। थोड़ी देर रुकने के बाद आकाश ने कहा। आप इंतजार कीजिएगा। मैं आपका हिसाब किताब जरूर करने आऊंगा। मैंने देखा कि आकाश के गालों में मुराद की तरह गड्ढे नहीं पढ़ रहे थे। लेकिन मेरी दुआएं उसके लिए फिर भी कम नहीं हो रही थी। हमारा एक अजीब सा इंतजार का रिश्ता बन चुका था।

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