सच्ची मोहब्बत

यह दास्तां है एक सच्ची मोहब्बत की। अभय और रुचिका एक दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं। दोनों एक दूसरे को देखे बिना एक दिन भी नहीं निकलते हैं।
अभय और रुचिका एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं, रोज एक दूसरे से मिलते हैं। दोनों के प्यार की पूरी कॉलेज में चर्चा थी।
देखना है यह है कि उनकी यह बेइंतेहा मोहब्बत उन्हें किसी मोड़ पर ले जाएगी।

अभय और रुचिका को एक दूसरे से इतना प्यार था कि वह एक दूसरे को देखें और मिले बिना एक दिन भी नहीं रह पाते थे। अभय रुचिका को कहता कि, मैं तुम्हें एक दिन भी ना देखूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी सांसे चलना ही बंद हो जाएगी। जब भी कोई छुट्टी आती है उनका दिन निकलना मुश्किल हो जाता है।अभय कहता है कि यह छुट्टी क्यों आती है, छुट्टी के दिन मुझे तुमसे मिले बिना रहना पड़ता है।


अभय और रुचिका एक दूसरे के बिना अपनी जिंदगी का एक पल भी नहीं सोच सकते हैं।
रुचिका अभय से कहती है कि तुम कोई अच्छी नौकरी ढूंढो, तो मैं घर पर हमारी शादी की बात कर सकूं।
दोनों को ही डर था कि उनके परिवार वाले उनकी शादी के लिए मना तो नहीं कर देंगे।

सच्चा प्यार

लेकिन अभय किसी भी कीमत पर रुचिका को खोना नहीं चाहता था। दोनों का कॉलेज भी खत्म होने वाला था, अब दोनों को ही खुद के परिवारों को शादी के लिए राजी करना था। एक दिन अभय ने रुचिका के बारे में अपने परिवार से बात करी तो उसके परिवार को उनकी शादी को लेकर कोई आपत्ति नहीं होती है।

अभय को डर था कि रुचिका के परिवार वाले मानेंगे या नहीं। अभय की एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी लग जाती है। अभय रुचिका को उसके परिवार से बात करने को बोलता है। रुचिका अपने माता-पिता से बात करती है तो वह लव मैरिज के खिलाफ होते हैं। रुचिका उदास हो जाती है और अपने कमरे में जाकर खूब रोती है।

रुचिका पूरी बात अभय को बताती है और दोनों ही बहुत निराश हो जाते हैं। लेकिन अभय रुचिका का साथ नहीं छोड़ता है और उसे हौसला देता है कि हम उन्हें मनाने के लिए और कोशिश करेंगे।

रुचिका कॉलेज से आकर सीधे अपने कमरे में चली जाती, और खाना खाने के वक्त ही बाहर निकलती, पूरे दिन रुचिका के चेहरे पर उदासी रहती अपनी बेटी को ऐसे दुखी देखकर रुचिका के माता-पिता को भी बुरा लगता।

रुचिका की मम्मी उसके पापा से कहती है कि मैं अपनी बेटी को ऐसे दुखी नहीं देख सकती। हमें उसकी खुशी में खुश होना चाहिए। अभय अच्छा लड़का है और अच्छी कंपनी में नौकरी भी करता है। इससे ज्यादा हमें हमारी बेटी के लिए और क्या चाहिए। अगर वह उसके साथ खुश है तो हमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

ऐसे करके थोड़े ही दिनों में रुचिका के माता-पिता भी उनकी शादी के लिए मान जाते हैं, और रुचिका को बुलाकर यह खुशखबरी सुनाते हैं तो रुचिका बहुत खुश हो जाती है। वह तुरंत अभय को फोन करके बताती है और दोनों के खुशी के आंसू झलकते हैं।


शादी की खुशी से दोनों पागल हो रहे होते हैं। दोनों के परिवार मान गए थे तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। अगले दिन दोनों एक गार्डन में मिलने आते हैं और बैठ के खूब बातें करते हैं।
अपनी शादी के ख्यालों में डूब जाते हैं।

अधूरी मोहब्बत

अचानक एक हादसे के कारण दोनों का वक्त ही बदल जाता है। खुशी कब दुख में बदल जाती है पता ही नहीं चलता।

रुचिका जैसे ही खड़े होकर घर के लिए निकलती है उसका पैर फिसल जाता है। गार्डन में पड़े झूले की कील रुचिका के सर में घुस जाती है। अंदरूनी चोट होने के कारण रुचिका की मौत हो जाती है।

इस घटना से अभय के दिमाग पर बहुत गहरा असर पड़ता है। रुचिका की मौत से दोनों परिवारों में बहुत बुरा माहौल हो जाता है। अभय और रुचिका की मोहब्बत अधूरी रह जाती है।

इश्क एक नशा
अभय और रुचिका का प्यार इतना गहरा होता है कि अगर उसे सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पता है। कुछ दिनों के लिए अभय खुद को एक कमरे में बंद कर लेता है, और किसी से कोई बात नहीं करता है।

वह रुचिका की फोटो देखकर उससे बातें करता और कहता तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती हो, और रुचिका की याद में रोता रहता है।

अभय की ऐसी हालत देकर उसके माता-पिता का भी बुरा हाल हो गया था। उन्होंने अभय को खूब समझाया लेकिन अभय को रुचिका के अलावा कुछ नहीं दिखता।

अभय रुचिका की मौत के सदमे के कारण नशा करने लगा, उसे नशे की लत लग गई। अभय को रुचिका की प्यार भरी बातें याद आती, और वह रुचिका को और ज्यादा याद करता।

एक दिन नशे की हालत में अभय ने अपने हाथ की नस काट ली, उसके शरीर से बहुत खून वह चुका था।
3 दिन तक अभय को अस्पताल में रखा गया लेकिन ज्यादा खून बहने के कारण अभय की भी मौत हो गई।

अब अभय भी अपनी रुचिका के पास चला गया था।

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