नई उम्मीद

 नदी का पानी अब दोनों तरफ से अब जमता हुआ मालूम होता था। नदी के दोनों तरफ और उन पहाड़ों को जोड़ता हुआ रस्सी का बना हुआ था। मैं उसे पुल पर आहिस्ता चल रही थी। तभी मेरा पैर फिसल गया। मैं जोर  से चिल्लाई। मैं इससे पहले की पुल से फिसल जाती, मेरे अब्बा ने पीछे से मुझे थाम लिया। यह कैसा ख्वाब था? अचानक मेरी आखें खुल गई। हमेशा की तरह मेरी दोनों बहने मेरे पास सो रही थी।

पास में जोर से चिल्लाती हुई मम्मी की आवाज भी नही थी। सुबह आने वाले बंशी भैया भी नहीं थे। जिनके सामने मम्मी चुप रहती थीं। और मेरी दादी हमेशा उनसे झगड़ा करने के लिए तैयार रहती थी। ना सुबह-सुबह अब्बा की आवाज आती थी कि, सोने वालों उठ जाओ गरम-गरम जलेबियां आ गई है। जो सोता है वह खोता है।

मैंने अपनी पूरी आंखे खोल ली थी। यह हमारा घर नहीं था। यह मेरी खाला का घर था। ना जाने कब उन्होंने मेरे ऊपर कम्बल डाल दिया था। यह अमीरों वाला घर था। जिसमे हर चीज बढ़ी ही सावधानी से रखी हुई थी। 

नया रास्ता 

थोड़ी देर बाद जब मैं कमरे से आई से बाहर आई तो, मुझे एक साया नजर आया  मैं समझ गई कि यह खाला का भांजा मंजर होगा। मंजर एक मनमौजी टाइप लड़का था। वरना कौन व्यक्ति इंजीनियरिंग करने के बाद होटल मैनेजमेंट का कोर्स करता है। मैं सोफे पर बैठी बैठी अखबार पढ़ रही थीं। तभी खाला बाहर आकर बोली आज हम दोनों कपड़े लेने बाज़ार चलेंगे।

यह बात सुनकर मेरी निगाह उनकी तरफ सवालिया निशान से देखने लगी। मैं यह बात समझ गई थी कि, मैं अपने घर से जो कपड़े यहां लेकर आई थी। उनकी इस शहर में कोई कीमत नहीं है। तुम प्यारी हो, सुंदर हो और खूबसूरत भी हो। मगर जो लोग तुम्हें देखने आ रहे है। उनके अनुसार फैशनेबल कपड़े भी तो होने चाहिए।

तभी मजर किचन किचन से बाहर निकलते हुए बोला इसे लॉन्ग स्कर्ट और कुर्ता ट्राई करना चाहिए। उसमें यह खूबसूरत लगती हैं। मुझे लगा कि कभी-कभी लड़कियो के लिए खूबसूरत दिखना कितना जरूरी हो जाता हैं।

नया रिश्ता 

मेरे रिश्ते की बात चल रही थी। मेरी खाला की माने तो उन लोगों की तलाश मेरे ऊपर आकर पूरी हो गई थी। मगर मेरी तलाश क्या थी? Bsc करके दो साल से में सादी का इंतजार कर रही थी। अब्बा की सैंकड़ों जिम्मेदारियों में से एक जिम्मेदारी खत्म करने में उनकी मदद कर रही थी।

मेरी मम्मी कहती थी कि, हम आदतों के गुलाम होते हैं  जो आदत एक बार लग जाती है वह जल्दी से छूटती नहीं है।

मैं अपने ख्यालों में खोई हुई थी। तभी मंजर वहां आ गया और उसने पूछा पिज्जा खाओगी? नहीं खाना है तो मत खाओ मुझे क्या? मंजर ने कहा।

पिज़्ज़ा दूर से देखने मैं वाकई शानदार लग रहा था। उस पर टॉपिंग भी शानदार की गई तभी तभी मने अचानक से कहा मुझे भी खाना है।

केक वाकई शानदार बना था। इसके अलावा पिज़्ज़ा भी बहुत शानदार लग रहा था। तभी मंजर ने कहा मैने engineering करने के बाद अपनी हॉबी को अपना करियर बनाने के बारे मे सोचा। और देखो आज में यहां पहुंच गया हु। मैने बना लिया अपने हॉबी को अपना करियर।

मैं जाकर सोफे पर बैठ गई। देखा तो वह पर पहले से ही खाला सो रही थी। उनके आंखे बन्द थी। लेकिन वो आंसुओं से भरी हुई थीं।mai सोच रही थी कि बड़े लोगों के दीपक के पीछे कितना अंधेरा होता हैं।

तभी उन्हें पता चल गया की वहां कोई तो आया है। उन्होंने मुझे देखकर कहा में अपने बच्चे को बड़ा होते हुए नहीं देख सकी।उसे बचपन में ही बड़े लोगों के तौर तरीके सीखने के लिए बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया। यह कहते हुए खाला की आंखो से आंसू निकलने लगे।

अनचाहा रिश्ता 

सुबह-सुबह में गार्डन में टहल रही थी। धीमी धीमी हवा चल रही थी। तभी अन्दर से नाश्ते के लिए आवाज आई। में डाइनिंग एरिया की तरफ बढ़ गई।

तभी मैने देखा कि वहां मंजर और खाला धीरे धीरे बात कर रहे थे। हर परिवार के कुछ राज होते हैं। और मैं यहां मेहमान थी। परिवार का हिसा नहीं।

मंजर खाला से कह रहा था। महर को कह दो वो पहले अपनी एजुकेशन कंपलीट कर ले। उसके बाद शादी हो जाएगी। उसकी खूबसूरती का सौदा उस बिगड़े हुए अमीरजादे के साथ किया जा ही रहा है। जो की सही नहीं हैं।

खाला ने कहा मजबूरियां इंसान से सब करवाती है। उसे छोटी उसकी दो बहने है। इसके अलावा एक भाई भी है। वो भी बड़े हो रहे है। उनका भी आगे देखना है। जबकि इनके अब्बा छोटे से मस्टर है।

मैं इतना ही सुन पाई। उसके बाद साइड में आकर रोने लगी। मुझे अपने आप पर रोना आ रहा था। मैं गार्डन में आ गई थी। आज मुझे लड़के वाले देखने आने वाले थे। इसलिए मैने ओर खाला ने पार्लर जाने का फैसला किया था। लेकिन मंजर सुबह से ही इस बात का मजाक उड़ा रहा था।

इसलिए मैने ओर खाला ने पार्लर जाने का फैसला ही पलट दिया। जब में गार्डन में थी तभी वहां पर मंजर आ गया उसने कहा यदि तुम्हें जाना है पार्लर तो मैं लेकर चल सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है तुम जैसी हो वैसे ही रहो किसी के लिए तुम्हे बदलने की जरुरत नहीं है।

वक्त तेजी से आगे बढ़ रहा था। साम को लड़के वाले आ गए। मुझे एक बुढ़ी खातून ने अपने पास बैठा लिया। सब एक दूसरे से बाते कर रहे थे। तभी आवाज आई।wow so ब्यूटीफुल। तभी खातून ने कहा। लो हमारे लड़के को लड़की पसंद आ गई। खातून ने आगे कहा वास्तव में लड़की में जवानी और खूबसूरती भरी पड़ी है।

वह लड़का मुझे घूर कर देखे जा रहा था। मुझे ऐसे लग रहा था मानो वह मेरे ऊपर चल रहा हो।

उन्होंने मेरे परिवार से सम्बंधित कुछ सवाल पूछे। मैने उनका जवाब दिया और वहां से उठकर डाइनिंग हॉल में आ गई। मुझे वहां बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।

मंजर और मेरे बिच भी आजकाल बात कम होती थी। वो अपने इंस्टीट्यूट में आना जाना और अपने प्रोजेक्ट में व्यस्त रहता है।

नई उम्मीद 

उस रात हम डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। मंजर और खालू पॉलिटिकल बाते कर रहे थे। तभी खाला का फोन बजा। सब चुप हो गए। उनकी बातों से लग रहा था कि ये लड़के वालो का ही कॉल था। कुछ देर बात करने के बाद खाला ने फोन रख दिया। उन्होंने कहा लड़का जिद कर रहा है उसे अगले महीन ही शादी करनी है।

लड़की वालों का खर्चा भी वहीं लोग उठाएंगे। वो कह रहे है की शादी में ऐसा नहीं करने पर उनकी बदनामी हो सकतीं है। महर के पिता कि इतनी हैसियत नहीं है कि वो अच्छी शादी कर सके। इस बारे मे वो लोग पहले ही बात कर लेना चाहते है।

खालू ने कहा इसमें गलत ही क्या है? उनका खर्चा बचेगा। इससे उनको ही फायदा होगा।

ये सब बाते मै बैठे बैठे सुन रही थीं। मेरी आंखो में आंसू थे। लेकिन मैने उनको रोक कर रखा। मंजर मेरी तरफ देख रहा था।

तभी मैंने अपनी पूरी हिम्मत से कहा मुझे यह शादी नहीं करनी है। मुझे अभी अपनी एजुकेशन कंपलीट करनी है। करियर बनाना है। इतना कहते ही मै उठकर बाहर आ गई। गार्डन में thandi ठंडी हवा चल रही थी।

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