मोहब्बत किस चिड़िया का नाम है? यह बचपन गुजरते ही हमें पता चलने लगता है। हमारे शरीर में कुछ केमिकल रिएक्शन होते हैं। और हमें प्यार होने लगता है। प्यार की सबसे खूबसूरत चीज यह होती है कि इसे करने की जरूरत नहीं होती है। प्यार तो अपने आप हो जाता है!
प्यार के रोग के लक्षण की बात करें तो, आपको हल्की-हल्की खुमारी होती है। अपने आप में ही खोए रहते हैं। और हां आप बस इस दुनिया से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। हालांकि प्रेम का में कोई डॉक्टर नहीं हूं। बल्कि मैं तो खुद एक मरीज हूं। कैसे प्यार ने मेरे ऊपर आक्रमण किया? मेरी जिंदगी एक दूसरे की दिशा में चलने लगी। मुझे एक एक किस्सा याद है।
प्यार की शुरुआत
अब मैं 12वीं कक्षा में था। 12वीं कक्षा ही हमारी कैरियर की सबसे जरूरी चीज होती है। इसलिए कक्षा का हर लड़का पूरे जोरों से पढ़ाई में लगा हुआ था।
लड़कियों की तो बात ही और होती है। वह तो जन्मजात पढ़ाकू होती हैं। उनके मन में बोर्ड परीक्षाओं का खौफ और भी ज्यादा होता है। अध्यापक भी 12वीं की हर बच्चे पर विशेष ध्यान दे रहे थे। और बच्चों के साथ खूब मेहनत कर रहे थे।
12वीं कक्षा में सब को समझा दिया गया था कि, यदि जिंदगी में कुछ हासिल करना है तो यही 1 साल है। हालांकि आपने नोटिस किया होगा कि हमें हर साल हमारे मां-बाप यही ज्ञान देते हैं।
सभी बच्चे अपने कैरियर को बनाने में लगे हुए थे। हालांकि इस कड़ी में मैं एक अपवाद था। मैंने इश्क अपना रास्ता बना लिया था। मैं किसी का दीवाना हो गया था।
बचपन के प्यार के दो ही लक्षण होते हैं। या तो बच्चे बहुत ज्यादा सुधर जाते हैं। और लड़कियों की पहली पसंद बन जाते हैं। या फिर हाथ से निकल जाते हैं। हमेशा प्यार में ही खोए रहते हैं। किसी की भी सुनने को तैयार नहीं रहते हैं। मैं दूसरी कैटेगरी का स्टूडेंट था। मुझे पढ़ाई से कोई वास्ता दूर-दूर तक नजर नहीं आता था। मेरी स्कूल आने का एक ही वजह थी। उसकी एक झलक।
बालों में जेल लगाकर जाता था। तैयार होने में ही इतना वक्त लगता था कि, लेट होने के कारण बैग ही घर पर भूल जाता था। कक्षा में ऐसी जगह बैठने का प्रयास करता जहां से मुझे हमेशा उसका चेहरा नजर आए। उसकी खास बात यह थी कि अपनी दोनों चोटयों को अलग-अलग रबर बैंड से बांधकर आती थी। हर दिन रबर बैंड का कलर भी अलग होता था।
आंखों मैं काजल लगाई हुए होती थी। और होंठ गुलाब की पंखुड़ी से भी ज्यादा लाल होते थे। ऐसे में इश्क होना तो लाजमी था ही। उसका नाम था काजल। हालांकि काजल से मुझे एक तरफा ही प्यार था। वैसे इस स्कूल में ज्यादातर प्यार एक तरफा ही होते हैं।
स्कूल की शुरुआत
काजल ने हमारी स्कूल में 12वीं कक्षा में एडमिशन लिया था। जब वह पहली बार कक्षा में आई थी तो, थोड़ी सेहमी और डरी हुई थी। उसके पहले कदम रखते हुए मुझे उसका चेहरा नजर आ गया था। वो पहली नजर का पहला प्यार था। हालांकि यह बात मुझे बाद में पता चली।
क्लास में मेरे अलावा सभी बच्चे बारी-बारी जाकर उसको अपना परिचय देकर आ गए थे। मैं पता नहीं किस दुनिया में अपनी ही सीट पर बैठा रहा था। शायद मुझे इससे भी ज्यादा कोई अच्छा मौका चाहिए था। उससे मुलाकात के लिए।
क्लास का हर लड़का उसकी मदद के लिए तैयार हो रहा था। बिना मांगे ही अपनी नोटबुक उसे दे रहा था। कह रहा था कि पिछले 1 महीने में जो भी पढ़ाया है। वह सब कुछ अपनी नोटबुक में नोट कर लेना। नोटबुक वापस देने की भी कोई जल्दी नहीं है।
मुझे याद आया कि पिछले 1 सप्ताह से मैं भी स्कूल नहीं आ रहा था। मुझे बुखार हो गया था। इस कारण मैं अपनी पढ़ाई वापस रिकवर नहीं कर पाया हूं। क्योंकि मेरे को अपनी नोटबुक कोई देने को तैयार नहीं था।
काजल क्लास की सबसे खूबसूरत लड़की थी। मैं क्लास में जरूरत से ज्यादा लंबा और पतला लड़का था। ऐसे में आप समझ ही सकते थे, हम बैकबेंचर थे।
मैं इतना ज्यादा पतला था कि मोहल्ले के सारे लोग मुफ्त में मोटा होने के अलग-अलग उपाय बताते रहते थे। मैं खुद को आईने में देख देख कर, खुद को आनंद फिल्म का अमिताभ बच्चन समझता था। हालांकि हकीकत मुझे बाद में पता चली।
I Love you
मेरा यह अमिताभ बच्चन वाला कॉन्फिडेंस ही था कि, एक गलती कर दी। मैंने एक कागज के टुकड़े पर आई लव यू लिखा और उसे काजल की तरफ गोल गोल करके उछाल दिया।
इश्क में एक चीज है होती है कि आप जो चाहते हैं, वह कभी नहीं होता है। इस केस में भी यही हुआ। मेरा कागज काजल तक पहुंचता उससे पहले ही मॉनिटर के हाथ में पहुंच गया। उसने वह कागज उठाया और टेबल पर रखकर कागज को सीधा किया। उस पर 3 शब्द लिखे हुए थे। आई लव यू। उसने वह शब्द पढ़ें और मेरी तरफ आंखें बड़ी करके देखने लगा।
मैंने उसकी तरफ से मुंह फेर लेना की समझदारी भरा कदम समझा। और यही किया। हालांकि मैंने काजल से खूबसूरत लड़की अभी तक मेरी जिंदगी में नहीं देखी थी। मेरी जिंदगी में तो नहीं थी। लेकिन क्लास में तो थीं। और बचपन के प्यार में तो जो क्लास में होता है। वही अपनी जिंदगी में भी होता है। बहुत आराम से बात करने वाली इस लड़की की तरफ मैं धीरे-धीरे खींचा जा रहा था। एक बार के लिए तो प्यार में इतना खो गया था कि, कक्षा में किसी से मुझे कोई लेना देना ही नहीं था।
दोस्तों की तो छोड़िए कक्षा में अध्यापक क्या पढ़ा रहे हैं? मुझे इसकी भी जानकारी नहीं होती थी।
परीक्षा का परिणाम
जल्द ही परीक्षा के प्रथम टेस्ट के परिणाम आए। जैसा कि प्यार में अक्सर होता है। मैं इस परिणाम में अंतिम स्थान पर आया। जबकि काजल प्रथम स्थान पर। यह मेरी स्कूली पढ़ाई के सबसे बुरे अंक थे। लेकिन प्यार में इस कदर खोया हुआ था कि, फेल होने के बावजूद मुझे कोई डर नहीं था।
स्कूल से जाते ही पिताजी अपने रूद्र रूप में आ गए। उन्होंने अनगिनत जूते मारे। हालांकि मम्मी ने ऐसा नहीं किया। लेकिन 4 दिन तक उन्होंने भी बात नहीं की। यह पहली बार था जब पिटाई से मेरी मम्मी ने पिताजी से नहीं बचाया।
लेकिन फिर भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। मैं काजल के प्यार में बर्बाद हुआ जा रहा था।
कैरियर और मोहब्बत
मैं कक्षा में बैठा बैठा अपनी नोटबुक में कलाकृतियां बनाता रहता था। मुझे काज़ल की भी हर हरकत अच्छी लगती थी। चाहे वह कुछ भी करें। सुबह प्रजेंट मैम कहना हो या फिर किताब में मुंह छुपा कर अपनी सहेलियों से बात करना। मुझे उसकी हर एक चीज अच्छी लग रही थी। प्यार में ऐसा ही तो होता है।
काजल के आने के बाद मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था। मैं बारहवीं कक्षा के बाद एनआईटी में एडमिशन लेना चाहता था। लेकिन जो लक्षण थे। वह बिल्कुल भी शुभ नहीं थी। एनआईटी में एडमिशन लेना मेरा बचपन का ख्वाब था। मुझे 12वीं में a ग्रेड लाना था। लेकिन काजल के आने के बाद लगातार हो रही टेस्ट परीक्षाओं में a ग्रेड फिर बी ग्रेड सी ग्रेड और अंत में डी ग्रेड पर पहुंच गया। इसका मतलब यह था कि अब मेरा कुछ नहीं होने वाला है।
मेरा कैरियर बर्बाद होना लगभग तय था। हालांकि मुझे काजल के प्यार में कुछ भी खो देने का कोई गम नहीं था।
यदि आपने एक चीज नोटिस की हो तो, कैरियर और मोहब्बत दोनों के दिन एक ही साथ शुरू होते हैं। हालांकि मुझे आज दिन तक यह बात समझ में नहीं आई नहीं आई कि ऐसा क्यों होता है?
क्या उसे मोहब्बत है ?
एक तरफा में काजल से प्रेम करता था। लेकिन मेरे लिए अब यह जानना जरूरी था कि आखिरकार काजल के दिल में क्या है? यह बात सही है कि वह मुझसे मोहब्बत नहीं करती थी। कहीं ना कहीं यह बात मेरा दिल भी मानता था। लेकिन मैं चाहता था कि कहीं ना कहीं उसके दिल में कोई सॉफ्ट कॉर्नर जरूर हो। दोस्ती के लिए, इससे कम मुझे मंजूर नहीं था।
हालांकि यह बात पता करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मुश्किल यह थी कि काजल मेरे से बात नहीं करती थी। और मेरे लिए उसे बात करना काफी ज्यादा मुश्किल काम था। कभी-कभी हमारी नजरें जरूर मिल जाती थी। मुझे लगता था कि वह मुझे देख कर मुस्कुरा रही है। मोहब्बत में ऐसा ही होता है। लेकिन वास्तव में ऐसा था नहीं।
हालांकि मुझे एक बात का पक्का विश्वास था कि, क्लास के मॉनिटर को देखकर वह पक्का मुस्कुराती हुई नजर आती थी। मैं लगातार कोशिश करता था कि इस बात को दिल पर ना लगाऊ। क्योंकि इसके अलावा मेरे पास कोई दूसरा विकल्प ही मौजूद नहीं था।
काजल और मेरी लाइफ स्टाइल में भी काफी अंतर था। वह अपने पिताजी की कार में आती थी। मैं अपने बड़े भाई की रिजेक्ट की हुई सेकंड हैंड साइकिल में। मैं उसके कार का तब तक पीछा किया करता था, जब तक कि या तो कार मेरे से दूर नहीं चली जाती। या फिर मेरी साइकिल की चैन नहीं उतर जाती। मुझे पूरा विश्वास था कि कार के पिछले वाले शीशे में वह गूंजे जरूर देखती थी।
मेरा यकीन 1 दिन और भी ज्यादा पक्का हो गया। जब स्कूल के बाहर हम दोनों टकराए। चौराहे के दोनों तरफ एक दूसरे के सामने खड़े थे। चौराहे के बतिया हरी लाल और पीली बारी-बारी से होती रही। लेकिन ना तो वह सड़क के इस बार आई और ना में सड़क के उस पार गया। उस पूरी रात नहीं सोया।
15 16 साल की उम्र में अक्सर लड़कियां प्रेम के नावली पढ़ा करती है। लेकिन काजल की बात अलग थी। उसके हाथ में हमेशा 12वीं क्लास की किताबें ही होती थी।
एक और झटका
हमारे स्कूल में लगातार टेस्ट परीक्षाएं हो रही थी। तृतीय टेस्ट के रिजल्ट आए थे। इस बार रिजल्ट और भी ज्यादा खराब था। रिजल्ट इतना ज्यादा खराब था कि मेरे लिए टेस्ट की कॉपियों को पिताजी को दिखाना भी पॉसिबल नहीं था।
स्कूल में जैसा कि विद्यार्थी हमेशा करते हैं। बचाव के लिए मैंने भी वही तरीका अपनाया। मैंने पिताजी के हूबहू हस्ताक्षर करने सीख लिए। और अपनी नोटबुक पर उन्हें कर लिया। मन में थोड़ी शर्म भी आ रही थी। और संकोच भी था। लेकिन इन सबके सामने इश्क जिंदगी पर हावी हो गया था।
इस बार मैंने ठान लिया था कि मैं पता करके रहूंगा कि काजल के दिल में मेरे लिए क्या है? मैं सोच रहा था कि यदि उस पर किसी और ने कब्जा कर लिया तो, मैं तो ऐसे ही बर्बाद हो जाऊंगा। हालांकि यदि काजल का प्यार मुझे मिले तो, मैं शायद यह सब कुछ छोड़ने को तैयार था। अचानक ही क्लास मॉनिटर की शक्ल मेरे दिल में आ गई। मेरा दिल उसकी शक्ल को देखकर बैठ गया था।
मैंने हमेशा से एक बात नोटिस की थी कि काजल अपनी क्लास में सबसे आखरी में घर जाती थी। मैंने भी उस दिन ऐसा ही किया। सभी बच्चों की क्लास के बाहर जाने के बाद उसके सामने जाकर खड़ा हो गया। वह मुझे आप अचानक अपने सामने देख कर चौक गई। उसके हाथ से किताब फिसल कर नीचे गिर गई। किताब में एक लाल सूखा हुआ गुलाब रखा था। वह गुलाब भी फिसल कर नीचे गिर गया।
समझदारी
हम दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे। मुझे उसकी मोहब्बत का एहसास होने लगा था। मेरी हर रात बिना सोए गुजर रही थी। मैं पूरी रात सोचता रहा कि किसने दिया होगा, वह सूखा हुआ गुलाब। जिसको वह इस तरीके से संजोए हुए रखी हुई है। मेरे इश्क का सफर यहीं रुक गया था मुझे दुख भी हो रहा था। मैं सोच रहा था कि मैंने अपनी इश्क का इजहार करने में इतना वक्त क्यों लगाया? मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था। मैं सोच रहा था कि 12वीं बोर्ड के एग्जाम को छोड़कर मैं प्यार मोहब्बत के चक्कर में पड़ा ही क्यों?
कुछ फूल की सूखी हुई पंखनिया मेरे कैरियर को सहारा दे गई थी। कुछ दिन तक काजल याद आती रही। फिर मेरा भटकता हुआ दिल और मन रास्ते पर आ गया। मैं फिर कभी बिना स्कूल के स्कूल बैग के स्कूल नहीं गया। काजल का कक्षा में होना या ना होना मुझे बेचैन नहीं करता था।
उस वाक्य के बाद में मैंने उसकी तरफ देखना बंद कर दिया था। इसके बाद मेरा मन फिर से पढ़ाई में लगने लगा था। मेरा मन अब मोहब्बत से दूर जा चुका था। अब मैं काजल से मोहब्बत की जगह पढ़ाई में कॉन्पिटिशन करने लगा था। अब मेरा मन बस इतना चाहता था कि, फाइनल एग्जाम में उससे ज्यादा मेरे नंबर आ जाए।
आखरी दिन
स्कूल के आखरी डेढ़ महीने बाकी थे। स्कूल के बच्चों ने मिलकर शानदार फेयरवेल का आयोजन किया था। सभी दोस्तों ने औपचारिक विदाई ली।
मैं सभी दोस्तों की नोटबुक में नोटिस लिखने लगा। मैं हैरान तब रह गया जब काजल भी अपनी नोटबुक लेकर मेरे सामने आ गई। वही नोटबुक जिसमें सूखा हुआ फूल रखा हुआ था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या लिखूं?
मैं कोई शायर नहीं था। 18 साल का एक लड़का था। शायर होता तो लिख देता,
अब कि शायद हम ख्वाबों में मिले ।।
जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।।
मेरे पास आप पढ़ाई में भटकने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मैं खूब पढ़ाई करने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि मैंने स्कूल में टॉप किया था। सभी विद्यार्थी स्कूल में पहुंचे। और एक दूसरे का रिजल्ट पहुंचने लगे काजल का रिजल्ट काफी खराब आया था। वह मुश्किल से पास हुई थी। उसका उदास चेहरा देखकर मेरी खुशी भी गम में बदल गई। ना जाने क्यों उससे ज्यादा नंबर लाकर भी मैं खुश नहीं था।
सभी टीचर्स के मन में आश्चर्य हो रहा था। कि काजल का रिजल्ट इतना खराब कैसे आया? जबकि क्लास में वह हमेशा टॉप करती थी। मैंने काजल की तरफ देखा उसकी आंखों की पलकें भीगी हुई थी। मेरा मन भी भीग गया।
जिससे मैं जो दूर जा चुका था। अब वह इश्क मुझे फिर से अपने कब्जे में ले रहा था। मैं काजल का उदास चेहरा नहीं देख पा रहा था। मैं पहली बार उससे सीधे बात करने पहुंच गया।
मैंने उससे पूछा काजल तुम्हारा रिजल्ट इतना खराब? उसने कहा मन ही नहीं लगता था पढ़ने में, उसने कहा। और तुम्हारा रिजल्ट? कहकर वह मुस्कुराने लगी।
हां वह मैं मन लगाकर आखरी कुछ दिनों में पढ़ाई कर रहा था। मैंने डरते डरते जवाब दिया। जैसे पढ़ाई करना कोई गुनाह हो। लेकिन तुम्हारा मन क्यों नहीं लगता था मैंने पूछा?
एक बात बताओ जब तुम उस दिन मेरे सामने आए थे, तो मुझे क्या कहना चाहते थे? उसने कहा। लेकिन मैं गुलाब की पंखुड़ियों ने तुम्हारा रिजल्ट सुधार दिया। लेकिन तुम्हारा रिजल्ट किस ने बिगाड़ दिया? मैंने कहा।
उन्हीं गुलाब की सूखी पंखुड़ियों ने। जिन्हें मैंने कब से तुम्हारे लिए रखा हुआ था। लेकिन मुझे खराब मार्क चलाने का बिल्कुल भी गम नहीं है। मैं मैं सोच रहा था कि उन सूखी हुई पंखुड़ियों पर मेरा ही हक था। यह सोच कर मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।
मुझे काजल से फिर इश्क हो चला था।।।।।।।