सीमा को अच्छी तरह से याद नहीं था। लेकिन रामजीत ने उसे पहली बार सिंदूर भरते समय देखा था। रिश्तेदारों के सामने वह तो उसे देख ही नहीं पाई थी। मन तो कर रहा था कि एक बार देख ले। लेकिन एक तो लंबा घुघट दूसरी तरफ सीमा 3 साल पहले इतनी चंचल भी नहीं थी।
मंत्र उच्चार और फेरों के बाद कब उसे वेदी से वापस ले आया गया। उसे पता ही नहीं चला। सुबह विदाई से पहले की जाने वाली रस्मों के दौरान सीमा की चचेरी बहनें और रिश्तेदार हंसी ठिठोली कर रहे थे। उसी दौरान सीमा ने रामजीत को पहली बार देखा था। पहली नजर में रामजीत को देखते ही सीमा को उससे प्यार हो गया। था। उसका चेहरा कितना सुंदर लग रहा था। रामजीत की काली गहरी आंखों में सीमा कब खो गई? यह उसे पता ही नहीं चला और वह चुपचाप बैठ गई।
सीमा की भाभी ने रामजीत के गाल पर चिकोटि काटते हुए कहा आज हार जीत पक्की हो जाए। चलो नंदोई जी रसम शुरू करो। सीमा का पैर एक शिला पर रख दिया गया और रामजीत से कहा गया कि उसका पैर उठाए। रामजीत शर्म के मारे टस से मस नहीं हुआ। भाभी और मामी उसे प्यार भरी गालियां देने लगी। उन सभी के उकसाने पर रामजीत सीमा का पैर उठाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन दूसरे रिश्तेदारों ने सीमा के पैर को एकदम कठोरता से रख दिया। ताकि उसके पैर को उठाने में रामजीत को आसानी ना हो।
पहला गुस्सा
रामजीत भी दसवीं क्लास पास कर चुका था। वह इन सभी चीजों को समझता था। उसने एक चाल चली। उसने सीमा के पैर पर एक चिकोटि काट ली। इससे सीमा उछल पड़ी। और बोली हे राम! इसी के साथ सीमा का पैर ऊपर उठ गया। पहली बार सीमा ने रामजीत पर प्यार भरा गुस्सा किया था। सीमा अब रामजीत के प्यार में और भी ज्यादा डूब चुकी थी।
उधर रामजीत कि यह होशियारी देखकर सभी रिश्तेदार उसकी तारीफ करने लगे। यह सब बातें सीमा की आंखों के सामने घूम गई। जैसे कल ही की बात हो। लेकिन इन सब बातों को 3 साल हो चुके थे। सीमा का अभी गोना नहीं हुआ था। रामजीत सीमा को जब भी फोन करता था। तब कहता था कब आओगी घर पर। यह कहते हुए रामजीत एक अलग खमोशी में डूब जाता था।
सीमा चिड़िया के झुंड को उड़ते हुए देखकर सोचने लगी कि यदि वह भी चिड़िया होती तो, उड़ कर रामजीत के आंगन में पहुंच जाती। गोना होने में अभी भी 2 साल का समय बाकी था। कैसे यह दिन पूरे होंगे? यही सीमा सोच रही थी। अब आलस वाले दिन आ गए थे।
सीमा अपने आंगन में एक चारपाई पर लेटी थी और अपनी मां की बातें सुन रही थी रामजीत इन दिनों सीमा से एक बार फिर से मुलाकात करना चाहता था दोनों 1 साल पहले ही तो मिले थे सीमा और रामजीत की मुलाकात गांव में हुए एक मेले में हुई थी यह बात और है कि दोनों की मुलाकात कुछ ही समय के लिए संभव हो पाई थी होने से पहले ऐसे मुलाकात कौन करता है सीमा यह सब कुछ सोच रही थी।
सीमा ने लेटे-लेटे ही अपने चेहरे पर से आंचल हटाया। और देखा कि मां और भाभी दोनों ही गाय भैंसों की सेवा कर रही है। और दोनों ही अपने काम में व्यस्त हैं। उधर भैया भी कुछ ही दिनों में घर आने वाले थे। भाभी अभी से पापड़ा भैया के लिए इकट्ठे कर रही थी।
सीमा ने एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर ली। उसका मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था। मन लगता भी कैसे? उसकी 3 दिनों से रामजीत से बात नहीं हुई थी। सीमा जब भी रामजीत को फोन करती कहता था अभी खेतों में हूं बाबूजी के साथ। और जब सीमा शाम के समय फोन करती तो रामजीत कहता इस समय पढ़ रहा हूं। परीक्षा पास ही है। यह सब कुछ रामजीत गुस्से में सीमा से कहता था। जैसे ही रामजीत गुस्सा करता सीमा का दिल चीर जाता। जैसे की सीमा के लिए रामजीत के अलावा कुछ था ही नहीं।
इन दिनों लक्ष्मी से भी सीमा की बात नहीं हो रही थी। इन दिनों सीमा का किसी से बात करने का मन ही नहीं करता था। लक्ष्मी सीमा की पक्की सहेली थी। मगर उससे भी सीमा का मन नहीं मिल रहा था।
सीमा सोच रही थी कि इस लड़के को कौन समझाए? गोने से पहले इस तरीके से बार-बार मिलना अच्छी बात नहीं है। यदि लोगों को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी। लेकिन रामजीत समझने को तैयार नहीं है। वह कहता है कि यदि आपने सच्चे दिल से प्रेम किया है तो मिलने में कोई बाधा नहीं आ सकती है। सीमा सोचती थी कि हर वक्त प्रेम को कसौटी पर क्यों कसा जाए? क्या मेरे दिल का हाल वह नहीं जानता है। गांव देहात में यूं प्रेमी से मुलाकात करना आसान बात नहीं है। यदि किसी की भी नजर पड़ जाए तो राम जाने क्या होगा? यदि भैया को इन बातों का पता चल जाएगा तो, वह हाथ पैर बांधकर मुझे सागर में छोड़ कर आ जाएंगे।
रामजीत से पहली मुलाकात
सीमा पिछले साल रामजीत से हुई अपनी मुलाकात को याद करने लगी। कैसे रामजीत सीमा से मुलाकात करने के लिए उतावला हुए जा रहा था? रामजीत मेले के उस तरफ सीमा का इंतजार कर रहा था। जबकि सीमा सोच रही थी कि मेरे हाव भाव से कहीं मां को पता ना चल जाए। सीमा को रामजीत से मिलने का कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। सीमा अपनी सहेली लक्ष्मी की तरफ बेचारी नजरों से देखने लगी। तभी लक्ष्मी सीमा के पास आई और उसके कान में फुसफुसाकर कहा। वह तेरे पति है। उससे मुलाकात करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। तू बहुत ज्यादा डरपोक है। प्यार तेरी बस की बात नहीं है। तुझे गुलगुले भी खाने हैं और जमाने से डरना भी है। दोनों चीजें एक साथ नहीं हो सकती है। लक्ष्मी ने कहा।
उस समय सीमा लक्ष्मी को कुछ बोल नहीं सकी। लेकिन उसकी कलाई को कस कर पकड़ा। इससे लक्ष्मी जोर से चिल्लाई अरे यह क्या कर रही हो दर्द हो रहा है। रुक अभी मां को सब बातें बताती हूं। तेरे सर से प्यार का भूत नहीं उतारा तो मेरा नाम भी लक्ष्मी नहीं।
सीमा अपनी मां के साथ मेले में चली जा रही थी लेकिन उसे रामजीत से मुलाकात करने का कोई मौका नहीं मिल रहा था मां को यूं चकमा देना कोई आसान काम भी नहीं था लेकिन तभी बर्तन की दुकान पर मां की सखी उसे मिल गई तब सीमा ने एक बहाना बनाया मां मैं लक्ष्मी के साथ झूला झूलने जा रही हूं आप परेशान मत होना तभी मानेसर हां में सर हिलाया सीमा ने लक्ष्मी का अपने तरफ हाथ खींचा और वह आगे बढ़ गई उसका दिल धक-धक कर रहा था अब वह मिलेगी उस तरफ बढ़ने लगी जहां पर रामजीत उसका कब से इंतजार कर रहा था।
सीसीमा ने दूर से देखा कि एक लड़का मोटरसाइकिल के पास खड़ा है उसने नीले कलर का स्वेटर पहन रखा है वह अपने मोबाइल में कुछ देख रहा है और बालों को बार-बार पीछे करता है वह लोगों में किसी को ढूंढ रहा है। अरे जीजा जी उधर कहां देख रहे हो असली फिल्म तो इधर है लक्ष्मी ने चुटकी बजाकर रामजीत को कहा उसने सीमा की कानों में हंसी की कोई बात कही और लक्ष्मी वहां से चली गई।
सामने खड़ी पलके झुकाए लड़की को देखकर रामजीत मुस्कुराने लगा उसकी थोडी को ऊपर उठाकर रामजीत सोचने लगा कि क्या यह वही लड़की है जिससे वह रोज फोन पर घंटों बातें करता है। हमसे क्यों शर्मा रही हो पति है तुम्हारे यह कहते हुए सीमा के गाल पर मौजूद काले तिल को रामजीत ने छुआ यह देखकर सीमा शर्म आने लगी और पीछे हट गई सीमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया। देखो तुम्हारे लिए क्या लाए हैं सीमा ने यह बात सुनकर अपनी पलकें ऊपर उठाई सीमा ने राम जी की तरफ देखा तो उन आंखों में चंचलता नजर आ रही थी अभी कोई देख लेगा हमें यहां पर हम जा रहे हैं सीमा ने कहा।
रामजीत ने बिना सीमा की तरफ देखे हुए उसके हाथ अपने हाथों में थाम लिया और एक हाथ से अपनी जेब से एक लाल कंगन निकाला कंगन निकालकर राम जी अपने उतने सीमा के हाथों में पहना दिया कितने सुंदर लग रहे हैं तुम्हारे हाथों में रामजीत ने कहा। सीमा ने कंगन अपने आंखों पर लगा लिया दो दिलों में अब प्रेम हिलोरे ले रहा था तभी रामजीत ने कहा मैं तुम्हारे लिए कुछ और भी लाया हूं लेकिन मैं तुम्हें यह चीज तभी दूंगा जब तुम मुझे आई लव यू कहोगी।
तभी लक्ष्मी वहां पर आ गई और वह वापस चलने का इशारा कर रही थी तभी सीमा ने रामजीत के हाथों से मंगलसूत्र को झपट लिया। सीमा लक्ष्मी की तरफ आगे बढ़ रही थी तभी उसने पीछे मुड़कर कहा अब हम दोनों की मुलाकात होने के बाद ही हो पाएगी सीमा ने यह बात कह तो दी थी लेकिन क्या इतने सालों का इंतजार आसान था क्या?
अकेला मन
सीमा यादों की तिजोरी से बाहर आई। और मोबाइल के बटनो पर अपनी उंगलियां फिराने लगी। वह रामजीत को फोन करने ही वाली थी, तभी उसे याद आया कि रामजीत उससे नाराज है। और फोन नहीं उठाएगा। इसके बाद सीमा सो गई।
दूसरे दिन सीमा अपनी भाभी के साथ खेत में फसल को देखने गई थी। भाभी सीमा से लगातार हंस-हंसकर बातें कर रही थी। लेकिन सीमा उनका कोई जवाब नहीं देती थी। कोई और दिन होता तो वह भी हंस-हंसकर भाभी की इन बातों का जवाब देती। लेकिन आजकल सीमा का किसी से बात करने का मन ही नहीं करता था।
अपने पतिदेव से कहो कि वह अब फोन ना करें। मां को विदाई से पहले इस तरीके से फोन पर बात करना अच्छा नहीं लगता है। भाभी ने मिर्ची तोड़ते हुए सीमा से कहा। किसके ख्यालों में खोई हुई हो रानी। कच्ची सब्जियां तोड़ रही हो।
मां से कहो ना कि हमारा गोना कर दे। 2 साल बाद भी तो होना है। आज ही गोना क्यों नहीं कर देते? तुम्हारे भैया वहां पर हार्ड तोड़ मेहनत कर रहे हैं कि, सीमा का शान से गोना करेंगे। और यहां पर बहन को आज ही ससुराल जाने की जल्दी है।
सीमा भाभी से नहीं कह पाई कि, उसे बहनों और पैसों का कोई लालच नहीं है। बस उसे उसके पति से मिलवा दिया जाए। इन दिनों सीमा शिवजी की भी पूजा करने लगी थी। ताकि किसी भी तरीके से वह अपने पति रामजीत से मिल सके। लक्ष्मी ने सीमा का मजाक उड़ाते हुए कहा कि देखो दो प्यार करने वाले लोगों को जमाना मिलने नहीं दे रहा है। और तुम्हारे अंदर कितनी तड़प है? यह सुनकर सीमा लक्ष्मी के पीछे दौड़ पड़ती है। लेकिन लक्ष्मी चकमा देकर फिर भाग जाती।
फाल्गुन का महीना बीत गया था। इन दिनों रामजीत एक बार फिर से सीमा से प्यार भरी बातें करने लगा था। फसली पूरी तरीके से पक पक गई थी। और उनकी गंध हवा में फैल रही थी। मटर की फसल किसानों के घर आने के लिए बेताब हो रही थी। होली का त्यौहार सिर पर आ गया था। इधर रामजीत की फिर से वही जिद थी कि उसे किसी भी तरीके से सीमा के साथ होली खेलनी है। सीमा का भी मन होता कि वह रामजीत के चेहरे पर गुलाल लगाती और कहीं पर जाकर छुप जाती। इसके बाद रामजीत उसे ढूंढता। लेकिन सब कुछ मन का तो नहीं होता।
होली के रंग
सीमा का भी मन हो रहा था कि वह रामजीत के साथ होली खेले। लेकिन उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। तभी सीमा की सहेली लक्ष्मी ने उसे एक रास्ता बताया। तुम रामजीत को रंग ही तो लगाना चाहती हो। होली के दिन लगाएं या होली के दो-तीन दिन पहले। तुम रामजीत को गांव के बाहर बगिया में बुला लो। और उसे रंग लगा दो और घर पर वापस आ जाओ।
लेकिन कल तो भैया पंजाब से आ रहे हैं। उदास होते हुए सीमा ने कहा। लेकिन भैया तो शाम को आ रहे हैं। तुम रामजीत को दोपहर में बुला लो। उस समय कोई भी तुम्हें नहीं देख पाएगा। यह बात सीमा के मन में बैठ गई। उसने रामजीत को फोन किया और दूसरे दिन मुलाकात का वादा किया। सीमा ने रामजीत से वादा तो कर लिया था। लेकिन उसे अभी भी डर लग रहा था। यदि गांव वालों ने उन दोनों को देख लिया तो उनके परिवार को बिरादरी से बाहर कर देंगे। लेकिन सीमा गांव वालों के बारे में सोचें या अपने प्रेम के बारे में।
सीमा दूसरे दिन उठी और काम में लग गई। उसने घर का सारा काम कर दिया। उसे अम्मा को जो खुश करना था। जैसे ही अम्मा को दोपहर में नींद आई। सीमा लक्ष्मी के साथ रंग की थैली लेकर बगीचे की तरफ आगे बढ़ने लगी। लेकिन सीमा को अभी भी डर लग रहा था।
तभी लक्ष्मी ने सीमा से कहा वह देख सामने से कौन आ रहे हैं। अरे यह तो भैया आ रहे हैं। सीमा से डर के मारे गुलाब सड़क पर नीचे गिर गया था। जो कि मैं रामजीत को देना चाहती थी। सीमा और रामजीत एक बार फिर से मुलाकात नहीं कर पाए थे। रामजीत की बेबसी उसे मारे डाली जा रही थी।
सीमा दुखी होकर मोबाइल की तरफ देखने लगी। जहां रामजीत का मोबाइल नंबर चमक रहा था। सीमा दुखी होकर रामजीत की बात सुनने लगी। रामजीत ने दुखी होकर कहा सीमा हम दोनों भाग चले। सीमा यह सुनकर चौक पड़ी। क्या कह रहे हो? इतनी बड़ी बात कहते हुए तुम्हें शर्म नहीं आ रही है। रामजीत ने कहा क्या करूं मैं तुम्हारे बारे में पापा से दो तीन बार कह चुका हूं कि, वह तुम्हें तुम्हें हमारे घर ले आए। लेकिन कहते हैं कि 5 साल पूरे होने के बाद ही घर लेकर आएंगे।
यह पूरी बात सीमा ने लक्ष्मी को बताई। साथ देने के बजाय लक्ष्मी ने कहा कि तुम दोनों पागल हो गए हो। शादी होने के बाद कौन भागता है? तुमने कहीं यह बात पूरी दुनिया में देखी है? कौन तुम्हारी मदद करेगा?
सीमा ने कहा हमें किसी मदद की जरूरत नहीं है। रामजीत ने कहा कि होली के दिन हम दोनों भाग जाएंगे। उस दिन मां और भाभी तरह-तरह के पकवान बना रही थी। भैया पंजाब से सीमा के लिए एक लाल रंग की चुनरी लेकर आए थे। शाम को ही मां को दिखाते हुए भैया ने कहा कि सीमा का गोना बड़ी धूमधाम से करूंगा। पूरा समाज देखता रह जाएगा।
सीमा रामजीत के साथ भागने के लिए तैयार हो गई थी। लेकिन अभी भी वह खुश नहीं थी। सीमा आंखें चुरा कर रोने लगी। मां को सीमा की तरफ देखा लग रहा था कि, कुछ सही नहीं हो रहा है। तभी बरामदे में जाकर सीमा ने रामजीत को फोन लगाया। और जल्दी से बोली हम दोनों भाग कर सही नहीं कर रहे हैं। हमारे परिवार का सर नीचा होगा। और यह होता हुआ हम नहीं देख सकते हैं। हमें माफ कर दो। लेकिन हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं। यह कहते हुए सीमा ने फोन रख दिया।
फोन रामजीत ने नहीं उसके पिताजी ने उठाया था। यह बात सुनकर रामजीत के पिताजी उदास हो गए। सोचने लगे कि हम बच्चों के साथ कितना अन्याय कर रहे हैं। बाहर आंगन में रामजीत उदास बैठा था। रामजीत को देखकर उसके पिताजी ने कहा उदास कैसे बैठे हो? तुम्हारे दोस्त सारे गांव में घूम घूमकर होली खेल रहे हैं। हमारा मन नहीं है। रामजीत ने कहा। हम भी सोच रहे हैं कि तुम्हारे ससुराल जाए और किसी शुभ दिन को देखकर बहू को घर ले आए। यह सुनकर रामजीत चौक उठा उसके कानों में शहनाई की आवाज घूमने सुनाई देने लगी। सीमा का चेहरा उसकी आंखों के सामने आने लगा। यह कहकर रामजीत के पिताजी आगे बढ़ गए।