किताबों की शौकीन अनुराधा अपने कमरे को सही कर रही थी। उसके इस वन बीएचके अपार्टमेंट में शनिवार और रविवार को सफाई का दिन होता था। इस दिन पूरे अपार्टमेंट को अरेंज किया जाता था। इसमें बहुत सारी रविंद्र नाथ टैगोर तुलसी मीरा से लेकर और भी बहुत सारी आधुनिक युग की कहानियां की किताबें शामिल थी। जिसमें हैरी पॉटर जैसी किताबें भी थी।
अनुराधा अपने अपार्टमेंट को सेट कर रही रही थी और सोच रही थी कि इस काम को बाद में कर लूंगी। या फिर कोई दूसरा काम पहले कर लेती हूं।
अनुराधा एक छोटे कस्बे की रहने वाली लड़की थी। उसके माता-पिता ने अपने सामर्थ्य से ज्यादा पैसा खर्च करके उसे आगे की पढ़ाई के लिए इंदौर भेजा था। इस बात को अनुराधा भी अच्छी तरीके से जानती थी। तभी तो वह मौका मिलने पर पार्ट टाइम जॉब भी कर लेती थी ताकि आर्थिक रूप से अपने माता पिता की मदद कर सके।
कमरा और अपार्टमेंट को सही करने के बाद अनुराधा ने अपने लिए सैंडविच और कॉफी बनाई। सैंडविच और कॉफी लेकर वह बालकनी में आकर बैठ गई। तेज बारिश शुरू हो चुकी थी। अनुराधा बारिश की बूंदों को अपने आप में समेटने की कोशिश कर रही थी।
अनुराधा ने इस बालकनी के लिए ₹1000 प्रति माह ज्यादा किराया दिया था।
तभी अनुराधा का फोन बजा। वह अपने हाथों को पोछकर फोन को उठाया। तभी सामने से आवाज आई मुझे एक अर्जेंट पार्ट टाइम अटेंडेंट की जरूरत है। यह फोन उसकी दोस्त का था। वह कह रही थी सैलरी भी अच्छी है। इसके लिए इंकार मत करना। एक बुजुर्ग महिला है। जिनकी देखभाल करना है। टाइमिंग शाम को 6:00 बजे से लेकर सुबह 8:00 बजे तक रहेगी। उसके बाद तू फ्री है।
अनुराधा सोचने लगी पता नहीं कैसे लोग होंगे! और अटेंडेंट का काम भी मुझे नहीं पता किस तरीके का होता है? यदि पापा को बताया तो वह तो सीधे मना ही कर देंगे। मैं इस काम के लिए हां बोलू या फिर ना? अनुराधा सोचने लगी। तभी सोचा कि इंकार कर देती हूं।
उस शाम को ना चाहते हुए भी पता नहीं क्यों अनुराधा के कदम अपने दोस्त के बताए हुए अपार्टमेंट की तरफ बढ़ने लगे। अनुराधा को कौन रोक सकता था? वह तो अपने आप में एक मनमौजी लड़की थी। तेज बारिश शुरू हो गई थी। अनुराधा ने अपना बैग अपने सिर पर रखा और दौड़कर अपार्टमेंट के पास पहुंच गई। बेल बजाया।
पहली मुलाकात
बेल बजाने के लगभग 2 मिनट बाद दरवाजा खुला अनुराधा के सामने एक लड़का था उसने बोला हां जी बताइए किस से मुलाकात करनी है? अनुराधा चुप रही। लड़के ने एक बार फिर से वही लाइन दोराई
जी मैं यहां पर जॉब के लिए आई हूं। ए टू जेड हेल्थ केयर की तरफ से। अटेंडेंट का जॉब है। मुझे इस जॉब की सख्त जरूरत है। इंकार मत कीजिएगा। अनुराधा का अपने आप पर कोई कंट्रोल नहीं रह गया था। शब्द अपने आप मुंह से निकल रहे थे। अनुराधा भी सोच रही थी कि वह क्या बोल रही है?
अनुराधा अभी भी बारिश में भीग रही थी। लड़के ने पूछा नाम क्या है? जवाब दिया अनुराधा। रात भर यहां रुक पाओगी? देखभाल करने के लिए।
मेरी दादी मां की देखभाल करनी है। वह पिछले दिनों गिर गई थी। आंगन में। मेरी ड्यूटी बाहर रहती है। आपको ही देखभाल करनी है।
तभी अंदर से आवाज आई। कौन है बाहर कमल। कमल अंदर अपनी दादी मां को देखने के लिए चला गया। पीछे पीछे अनुराधा भी चली गई। अनुराधा सोचने लगी हा तो कमल नाम है इसका।
जाकर देखा तो दादी मां की स्टिक नीचे गिर गई थी। कमल ने गुस्से में कहा। आप प्लीज अकेले उठने की कोशिश मत कीजिए। दादी ने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा, यह कौन है?
कमल ने थोड़ा रुकते हुए कहा यह आपकी हेल्प के लिए आई हैं। तभी अनुराधा ने कहा जी मैं अटेंडेंट हूं। आपके लिए। आपकी मदद करने के लिए आई हूं। ए टू जेड हेल्थ केयर कंपनी से। अनुराधा को पार्ट टाइम जॉब मिल गया था।
नया मोड़
दूसरे दिन कॉलेज बैग के अलावा एक छोटा बैग लेकर अनुराधा कमल के घर पर पहुंच गई। एक-दो दिन में ही अनुराधा इस बात को समझ गई कि, कमल और दादी के अलावा इनकी जिंदगी में कोई तीसरा व्यक्ति नहीं है।
2 दिन बाद कमल को अपनी जॉब ज्वाइन करने के लिए जाना था। अनुराधा ने अपने पिताजी को पार्ट टाइम जॉब करने के लिए मना लिया था। अब उसके ऊपर जिम्मेदारी संभालने का वक्त आ गया था।उस पूरी रात कमल अनुराधा को समझाता रहा कि, किस तरीके से देखभाल करनी है? क्या काम करना है और क्या काम नहीं करना है?
इस दौरान अनुराधा लगातार कमल की आंखों की तरफ देखती रही। वह कमल की आंखों को किसी बादाम की गिरी जैसी समझ रही थी। अपने छोटे से कस्बे से आई अनुराधा को पढ़ाई के लिए अब एक और काम मिल गया था। उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ आ गया था। अनुराधा को पहला प्यार होने लगा था।
अनुराधा की जिंदगी में यह उसकी सबसे खूबसूरत जॉब थी। दादी की देखभाल।
अनुराधा के लिए यह काम भी आसान था। उन्हें केवल दादी को टहलने बाहर ले जाना था। और कभी-कभी वह वॉशरूम के लिए भी ले जाना था। इसके अलावा दादी के बाल बनाना और उन्हें कहानियां सुनाना। हां दादी को कहानियां और उपन्यास सुनने का चस्का लगा हुआ था।
अनुराधा को भी नई नई किताबें और नए लेखक पढ़ने का शौक था। दोनों की जोड़ी अच्छी तरीके से जम गई थी। ना जाने कब अनुराधा ने दादी का दिल जीत लिया था। शायद बुजुर्गों की आंखें बच्चों को आसानी से समझ जाती है। देर रात तक दोनों दोस्तों की तरह बातें करने लगी थी।
कभी-कभी दादी कमल के बारे में भी बताती रहती थी। दादी बता रही थी कि किस तरीके से जॉब लगते ही लोग कमल की शादी की बातें करने लगे हैं। वह उसकी अच्छाइयां बार-बार अनुराधा को बताने लगी। इससे अनुराधा और भी ज्यादा कमल की तरफ आकर्षित होने लगी।
अनुराधा कॉलेज से फ्री होते ही सीधे दादी के घर पर पहुंच जाती। वह बार-बार कमल के बारे में दादी से सुनना चाहती थी। अनुराधा की जिंदगी दौड़ लगा रही थी। उसके एक तरफा इश्क ने उसकी जिंदगी में पंख लगा दिए थे।
शनिवार को कमल घर पर आ जाएगा। तब तू अपने घर पर जा कर आराम कर लेना। दादी ने अनुराधा से कहा। हालांकि अनुराधा उन्हें इनकार करना चाहती थी। लेकिन वह ना नही कर सकी। और बड़े दुखी मन से कहा ठीक है दादी। मैं चली जाऊंगी घर पर।
तभी अचानक कमल घर पर आ गया। कमल ने कहा अभी क्या बातें चल रही है? यह देखकर अनुराधा एकटक खड़ी रह गई। तभी दादी ने कहा चोरों की तरह घर पर क्या आता है? तू पुलिस वाला है या कोई चोर? यह कहते हुए दादी कमल का सिर्फ हिलाने लगी। तभी अनुराधा ने मन में सोचा एकदम पर्फेक्ट।
आज बहुत दिनों बाद अनुराधा अपने अपार्टमेंट पर समय पर आई थी। लेकिन उसको अपार्टमेंट को सजाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था।
अनुराधा कमल के घर से नहीं आना चाहती थी। वह चाहती थी कि दादी उसे कमल के और भी ज्यादा किस्से सुनाए। वह चाहती थी कि दादी बताएं कि किस तरीके से कमल के मां-बाप की एक्सीडेंट की मौत के बाद दोनों ने एक दूसरे के आंसू पोंछे।
अनुराधा अपने बारे में भी कमल को बताना चाहती थी कि, किस तरीके से उसके माता-पिता ने जमीन बेचकर उसे पढ़ने इंदौर भेजा है। वह अपने शौक करने के बजाय किताबें खरीदती रहती है। और गजलें सुनने का उसे कितना शौक है।
एक अजीब सी तन्हाई
सोमवार को एक बार फिर से अनुराधा दादी के घर पर पहुंच चुकी थी। तेज बारिश हो रही थी। वह देख रही थी कि क्या बाहर कोई सरकारी गाड़ी खड़ी है? या फिर कमल घर पर है या नहीं। अनुराधा चाहती थी कि कमल घर पर ही रहे। लेकिन ऐसा नहीं था।
तभी दादी ने अनुराधा से कहा आज लेट हो गई क्या बात है? अनुराधा ने कहा सॉरी दादी तेज बारिश हो रही थी। इस वजह से लेट हो गई।
तभी दादी ने अनुराधा को महादेवी वर्मा की एक किताब पकड़ाई। और उसे सुनाने के लिए कहा। अनुराधा ने किताब पढ़ना शुरू किया। उसे ना समय से पहले आना पसंद है। ना समय के बाद। एकदम सही टाइम पर पहुंचना जरूरी है।
यह पढ़ते-पढ़ते अनुराधा का गला भर आया था। ऐसी बातों में भी जब आप प्यार में होते हैं तो, उसके मतलब निकालने लगते हैं। अनुराधा के साथ भी यही हो रहा था। वह वास्तव में कमल के प्यार में थी।
रात के लगभग 11:00 बज चुके थे। दादी की नींद गहराई में पहुंच चुकी थी। तभी फोन बजा। अनुराधा ने जल्दी से फोन उठा लिया। सामने से आवाज आई हेलो। यह आवाज सुनकर अनुराधा को लगा मानो उसकी मनोकामना पूरी हो गई है।
दादी कहां है? सामने से आवाज आई। अनुराधा ने कहा वह सो गई है। आप चाहे तो मैं उन्हें जगह सकती हूं। नहीं नहीं आप रहने दो। उनसे कहना कि कल मैं घर पर आ रहा हूं। पूरे हफ्ते वही रहूंगा। मेरी ट्रेनिंग है, और फोन कट गया।
हमें वही सपने आते हैं। जिनके बारे में हम सोचते हैं। उस पूरी रात अनुराधा को कमल के सपने आ रहे थे। अगले दिन अनुराधा की नींद देर से खुली। बाहर देखा तो तेज बारिश हो रही थी।
सुबह उठकर अनुराधा रसोई में गई और बावर्ची से कमल की पसंद का खाना बनाने के लिए कहा। अनुराधा ने कॉलेज जाने का प्लान कैंसिल कर दिया। वह कमल का इश्क नहीं बल्कि बारिश थी। ऐसा अनुराधा ने दादी को समझाया।
अनुराधा की दादी के घर पर 12 घंटे की ड्यूटी थी। लेकिन आज अनुराधा और टाइम करने के मूड का था। 12:00 बजे कमल अपने घर पर पहुंच गया।
खुशनुमा मौसम
अगला 1 सप्ताह अनुराधा की जिंदगी में ऐसा आया, मानो बारिश के मौसम में गुलाब। अनुराधा और कमल के बीच में दादी एक पुल की तरह काम कर रही थी। रात के समय में जब अनुराधा दादी को कहानियां सुनाती तो, लैपटॉप पर काम करते समय कमल भी इन कहानियों को सुनता रहता।
किसी किसी वाक्य पर कमल अनुराधा की तरफ देख भी लेता था। उसका एक सवाल जिसने अनुराधा को पागल कर दिया था। ग्रेजुएशन के बाद तुम क्या करना चाहती हो? कमल बोलता बहुत कम था। सुबह के अखबार में अनुराधा खुद के राशिफल से पहले कमल का राशिफल देखने लगी थी।
कभी-कभी अनुराधा यूं ही कमल से सवाल पूछ लेती थी। तुम्हारा फेवरेट कलर कौन सा है? कमल का फेवरेट कलर नीला था। अनुराधा अपने पूरे अपार्टमेंट को नीला कर देना चाहती थी।
कभी-कभी कमल को आते जाते यूं ही छू जाना अनुराधा कि प्यार में सबसे महंगी कमाई थी। 7 दिन यूं ही बीत गए।
कमल ने अंतिम दिन ट्रेनिंग से जाते हुए दादी से कहा। आज शाम को ही मेहमान आने वाला है। आप हमें मेन्यू संभाल लेना। दादी ने कहा। मुझे क्या लेना देना है? कोई थानेदार नहीं होगी।
अनुराधा अभी बाहर से आई थी। आज भी तेज बारिश हो रही थी कमल की आवाज बाहर तक आ रही थी। वह जोर जोर से हंस रहा था। अनुराधा सोच रही थी कि, पहले तो कभी इतना जोर जोर से नहीं हंसा। कोई खास मेहमान ही होगा। अनुराधा ने अंदर जाकर देखा तो एक महिला नीले रंग की साड़ी में बैठी थी। उसने खूबसूरत झुमके भी पहन रखे थे। यही वजह थी कि कमल जोर जोर से हंस रहा था।
कौन है यह? अनुराधा सोच रही थी। किसी दूसरे मेहमान का इतना खूबसूरत होना कभी भी अनुराधा को इतना परेशान नहीं किया था। जितना कि आज कर रहा था। दादी ने अनुराधा को आवाज लगाई। वहां क्यों खड़ी है? अंदर आ जा। दादी अनुराधा के बारे में बताने लगी। यह मेरी देखभाल करने के लिए आई थी। लेकिन अब फैमिली का हिस्सा बन चुकी है। मुझे कहानियां सुनाती है। दादी ने कहा।
दादी ने कहा, यह प्रिया है। कमल के साथ में पोस्टेड है। दोनों एक साथ ही काम करते हैं। दादी ने अपनी बात खत्म की।
सब लोगों ने एक साथ खाना खत्म किया। अनुराधा के लिए यह वक्त 1 साल से भी ज्यादा लग रहा था। कमल अपनी दोस्त प्रिया को बाहर छोड़ने गया और बहुत देर तक अंदर नहीं आया। अनुराधा सोचने लगी हां इतनी देर तो लगेगी ही! खास दोस्त जो है।
शाम का समय था। कमल ने अनुराधा के कमरे की घंटी बजाई। अंदर आकर बैठ गया। एकदम पास। अनुराधा की धड़कन तेज होने लगी। कमल ने पूछा तुम्हारा कोई दोस्त है?
यह कहकर कमल ने अनुराधा का हाथ थाम लिया हमेशा हमेशा के लिए। दोनो एक दुसरे को देखकर मुस्करा रहे थे।