तेज हवा चल रही थी। विधि एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी। उसके ऊपर फूलों के पत्ते गिर रहे थे। वह फूलों के एक-एक पत्ते को अपने बालों से सुलझा रही थी। तभी विधि ने कहा यह बार-बार बारिश पता नहीं क्यों आ जाती है? ऊपर से इतनी तेज हवा चल रही है। और यह फूलों के पत्ते मुझे परेशान कर रहे हैं।
अमन ने कहा तुम बेमौसम बरसात से और एक्सपेक्ट ही क्या कर सकती हो?
अमन और विधि अब उठ कर पैदल चलने लगे। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद अमन ने कहा हम पैदल चलते चलते तो बात कर ही सकते हैं। अमन बार-बार विधि से बात करने की कोशिश कर रहा था। कभी विधि उसकी बात सुनती और कभी नहीं।
चुपके चुपके
विधि और अमन एक ऑटो में बैठे हुए थे अमन विधि को ध्यान से सुना रहा था। वह उसे देखती और कभी उसके किस्से सुनती। इसी तरीके से अमन भी उसे चुपके चुपके देख रहा था। जैसा कि हम प्यार की पहली सीडी में करते हैं।
अमन और विधि को मिले हुए 1 साल से ज्यादा हो चुके थे। लेकिन वह अभी भी अपनी प्यार की पहली सीढी पर ही खड़े थे। 1 साल पहले जब ऑफिस में डांस पार्टी थी। तब खुद विधि ने अमन से डांस करने के लिए पूछा था। अमन इस प्रपोजल के बाद में अचंभित रह गया था।
अमन और विधि दोनों ही एक न्यूज़ में चीन के लिए काम करते थे अमन सेल्स मार्केटिंग टीम का हिस्सा था तो विधि प्रूफ्रेडिंग का काम करती थी अमन और विधि कि इससे पहले भी चार-पांच बार मुलाकात हो चुकी थी लेकिन विधि का यूं अचानक डांस के लिए पूछना अमन को अचंभित कर गया था।
अमन इस प्रपोजल के लिए तैयार नहीं था। उसने टालने के लिए विधि से कह दिया। मुझे डांस नहीं आता।
विधि ने जवाब दिया, तो मुझे डांस कहां आता है। दोनों मिलकर कुछ कर लेंगे। इस बार अमन इनकार नहीं कर सका।
इस डांस मुलाकात के बाद दोनों के बीच कुछ बदलने लगा था। ऑफिस के सारे रास्ते अमन के लिए विधि के डिपार्टमेंट से होकर गुजरते थे। लंच के समय में अमन जब विधि से पूछता लंच करने साथ चले क्या? यह सुनते ही विधि अपना टिफिन उठाकर लंच के लिए उसके साथ चलती। जैसे वह उसी के पूछने का इंतजार करती रहती थी। दोनों इतने पास पास रहकर भी अपने दिल की बात एक दूसरे से नहीं कह पा रहे थे।
ऑटो विधि के घर के आगे आकर रुका। ऑटो से उतरते ही अमर ने विधि से थैंक यू कहा। विधि ने जवाब दिया। थैंक यू किस बात के लिए। मुझे भी तुम्हारे साथ टहलने में मजा आया। अमन उससे पूछना चाहता था क्या सिर्फ टहलने में ही मजा आया?
प्यार का पहला खत
अमर ने विधि को अभी तक प्रपोज नहीं किया था। हालांकि दोनों ही एक दूसरे से यह बात कहना चाहते थे। एक रात विधि ने अमन को पत्र लिखने का फैसला किया। वह सोच रही थी कि क्या लड़के ही हमेशा लड़कियों को प्रपोज करें? ऐसा तो कहीं लिखा हुआ नहीं है।
विधि डायरी और पेन लेकर सोफे पर बैठ गई। वह सोच रही थी कि अमन को किस तरीके से प्रपोज किया जाए। उसने लिखना शुरू किया।
मैं तुम्हारे लिए कोई कविता नहीं लिखना चाहती। मैं यह रिस्क नहीं लेना चाहती कि तुम समझ ना पाओ। इसलिए सीधे-सीधे शब्दों में लिख रही हूं। मैं तुमसे प्यार करती हूं अमन। सिर्फ तुम्हारी विधि।
खत लिख तो दिया था। लेकिन अब सोच रही थी कि इसे किस तरीके से अमन तक पहुंचाया जाए। क्या सीधे मैं उसे दे दूं, या फिर किसी और तरीके से।
शाम का समय था और दोनों कैंटीन में खड़े थे। विधि अपनी बात कहने के लिए बेचैन हो रही थी। अमन ने विधि की इस बेचैनी को समझ लिया। पूछा क्या सोच रही हो इतनी बेचैनी किस चीज के लिए हो?
विधि ने बात करने के लिए कहा। मैं अपना वॉलेट कर भूल गई हूं। मुझे कॉफी पीनी है।
अमन ने अपना वॉलेट विधि की तरफ आगे बढ़ा दिया।
उसने अमन का वॉलेट लिया। और उसे एक कॉफी आर्डर कर दी। कैश निकालते समय वह खत विधि ने चुपके से उसके वॉलेट के पहले पॉकेट में रख दिया था। कि अमन को यह खत जरूर नजर आ जाए।
बीती रात को यह सोच रही थी कि क्या अमन मेरा प्रपोजल एक्सेप्ट करेगा! मैंने अमन को प्रपोज करके क्या सही किया है? यह सोचते सोचते रात के 12:00 बज चुके थे। घड़ी की आवाज विधि के कानों में गूंज रही थी।
तभी विधि का फोन बजा। सामने से आवाज आई। क्या तुम बाहर आ सकती हो? विधि ने अपने होठों पर बाम लगाई और बालों को सही करते हुए बाहर आ गई।
बाहर आते ही उसे मनीष नजर आया। उसके 2 साल पहले का प्यार। वह याद कर रही थी कि कैसे मनीष ने उसे का वादा तोड़ते हुए उसे छोड़कर चला गया था। बाहर आते ही जैसे ही विधि सीढ़ियों से उतरी। मनीष ने कहा मेरी मां तुम्हें बहू बनाने के लिए तैयार है। मैंने उनसे जिद की, विधि नहीं तो और कोई दूसरी लड़की भी नहीं। पापा मेरी जिद मान चुके हैं। यह कहते हुए मनीष ने अपने होठों को भी निधि के होठों पर रख दिया। मनीष उसके सिर पर हाथ रखकर अब वापस जा रहा था। विधि पुरानी यादों में खो चुकी थी।
वह पुरानी यादें
विधि को आज भी याद है। जब लैब के पीछे बरगद के नीचे बैठी हुई थी और मनीष ने उसके गालों पर किस कर लिया था। विधि ने कहा तुम्हें शर्म नहीं आती है। कोई देख लेगा।
मनीष ने कहा सभी को पता है कि, हम रिलेशनशिप में है। और एक बात बताओ जब हमारी शादी हो जाएगी। तब भी क्या तुम इसी तरीके से शर्मआओगी।। विधि ने नहीं में सर हिलाया।
विधि मनीष की पत्नी बनने के लिए इंतजार कर रही थी। वह अपने मन की डायरी में एक-एक दिन काट रही थी। कॉलेज खत्म हुआ। उसके बाद पहली जॉब का पहला दिन भी आया। इसके बाद प्रमोशन भी मिला। लेकिन मनीष और विधि की शादी का इंतजार लंबा हो रहा था।
1 दिन दोनों की छोटी सी मुलाकात चर्च में हुई। इस दिन विधि मनीष को सब कुछ कह देना चाहती थी। उसने चर्च में जाकर मोमबत्ती जलाई और दुआ में मांग की कि मनीष और विधि की शादी हो जाए। दोनों सिढी से उतर रहे थे।
तभी मनीष ने कहा। तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए विधि।
विधि ने कहा मैं तो कब से तैयार हूं। तुम ही देर कर रहे हो, जोर लगाते हुए कहा।
तुम्हें किसी और से शादी कर लेनी चाहिए।
मम्मी पापा नहीं मान रहे हैं।
विधि ने अपने आंसू रोकते हुए कहा नहीं मान रहे हैं? इसका क्या मतलब है?
मनीष ने शादी में आ रही अड़चनों में जाति के बंधन समाज और तमाम दूसरे कारण गिना दिए थे।
विधि ने सीधे मनीष से पूछा, तो तुम क्या चाहते हो?
मनीष ने कहा मां-बाप की खुशी।
विधि मनीष को अभी भी नहीं भूली थी। वह हर दिन दुआ करती थी कि, मनीष उसकी जिंदगी में वापस लौट आए। लौटा भी तो अब। जब अमन उसकी जिंदगी में आ चुका है। और वह उसके साथ आगे बढ़ना चाहती है। यह खुदा का करिश्मा है, या फिर प्रकृति का कोई धोखा। विधि यही सोच रही थी।
जो कुछ साल पहले विधि के साथ हुआ था। वहीं आज अमन के साथ भी हो रहा था। विधि के लिखे हुए उन शब्दों का अब अमन के लिए कोई मतलब नहीं रह कर गया था। वह सारी रात बैठ कर उन शब्दों को बार-बार निहार रहा था।
अमन का आज ऑफिस के काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। एक छोटे से प्रोजेक्ट में 20 से ज्यादा गलतियां कर चुका था। लंच का समय हुआ तो, अपना टिफिन उठा कर बाहर आने लगा। सोचने लगा आज भी विधि को लंच के लिए पूछूं या नहीं।
10 मिनट बाद अमन और विधि आमने सामने बैठे थे। बीच में दो प्लेट रखी हुई थी। जिनमें खाना रखा हुआ था।
अमन ने विधि से पूछा तुमने पहले कभी मनीष के बारे में नहीं बताया?
विधि ने कहा क्या बताती उसके बारे में? पहले ही पास्ट को बहुत मुश्किल से पीछे छोड़ा था। अब मैं दोबारा उसका जिक्र नहीं करना चाहती थी।
अब कौन क्या कह सकता है? अमन विधि ने कहते हुए प्लेट को आगे की तरह सरका दिया, और वहां से उठ कर चली गई।
अमन विधि को जाते हुए यूं देख रहा था, मानो उसे वह अब भुला रही है। जिंदगी में एक मौत ही तो होती है। जो इंसान को एक साथ हमसे दूर लेकर जाती है। बाकी सभी चीजें तो किस्तों में धीरे-धीरे जाती है। विधि धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। और अमन से भी दूर जा रही थी। अब अमन अकेले ही लंच कर रहा था।
अमन और विधि की अब पहले की तरह ऑफिस में मुलाकात नहीं होती थी। ना ही विधि और अमन की तरफ देखकर हल्की मुस्कान पास करती थी
1 दिन ऑफिस में काम करते-करते अमन को बहुत रात हो चुकी थी। वो जल्दी जल्दी अपना काम खत्म कर रहा था। ऑफिस से बाहर निकल रहा था तो, देख रहा था की विधि किसी का इंतजार कर रही है। सोचा कि इसे राइड ऑफर की जाए। और घर तक ड्रॉप कर दूंगा।
अमन विधि को राइड ऑफर करता, इससे पहले ही विधि ने अमन को बाय बोल दिया। और बाहर निकल गई। उसे बाहर एक बाइक की आवाज आई। अमन समझ चुका था कि विधि का पहला प्यार इतना मजबूत है कि, अब वह उसकी जिंदगी में कोई मायने नहीं रखता।
एक अजीब सी दूरी
अमन अब विधि से धीरे-धीरे दूर रहने लगा। वह काम में इतना मशगूल रहने लगा कि, उसे विधि की याद ही नहीं आती थी। ज्यादातर काम अब वह फील्ड वर्क में करने लगा। ऑफिस में आता और अटेंडेंस लगाकर फील्ड वर्क के लिए बाहर चला जाता। बचे हुए समय में भी क्लाइंट को अटेंड करने चला जाता था।
आज अमन लोटस टैंपल में आया था। इतनी भीड़ होने के बाद भी लोग शांति से बैठे थे। और तिनके की भी आवाज नहीं आ रही थी। इन सब के बीच में कोने में अमन भी बैठा था। और छत को निहार रहा था।
अमन मंदिर में बैठा ही था कि उसका फोन बजा। उसे एक मैसेज आया था।
तुम कहां हो अमन?
निधि ने मैसेज किया था। हालांकि अमन ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। विधि एक कैफे में मनीष के साथ बैठी थी। विधि और अमन की पिछले 10 दिनों से एक भी मुलाकात नहीं हुई थी। वह उसे मिलने के लिए बेचैन हो रही थी। इन दिनों तो विधि को खुद के बारे में भी कुछ भी नहीं पता था।
मनीष पूरे ध्यान से विधि के लिए कॉफी में चीनी डाल रहा था। और उसे हिला रहा था। मनीष ने विधि की तरफ कप को आगे बढ़ाते हुए कहा।
तुम्हें पता है विधि मैंने पापा से तुम्हारे लिए शादी के लिए बहुत जिद की थी। तब पापा ने पूछा था कि क्या विधि अभी भी तुमसे शादी के लिए तैयार हो जाएगी? तब मैंने पूरे विश्वास से कहा था हां वह तैयार है।
विधि सोच रही थी कि कब मैंने मनीष को शादी के लिए हां की थी? वह तो अपनी तरफ से बोल रहा था।
सुबह के 10:30 हो रहे थे। विधि अपना बैग गले में लटकाए हुए ऑफिस जा रही थी। तभी सामने से अमन आता हुआ नजर आया। अमन किसी काम में इतना मशगूल हो चुका था कि, उसने विधि को देखा भी नहीं। या फिर यूं कहें कि उसने उसे नजरअंदाज कर दिया था। तभी विधि ने पूछा तुम कैसे हो अमन? विधि ने कहा।
आजकल मिलते ही नहीं हो। कहां रहते हो? क्या बिजी हो क्या जिंदगी में। अमन ने कहा हां ऐसा ही समझ लो। हमारी बात ही नहीं होती है। हमे एक साथ बैठे हुए कितने दिन हो गए एक साथ विधि ने कहा
अमर ने कहा अब एक साथ बैठने के लिए रही क्या गया है हमारे बीच। अब कुछ बातें भी तो नहीं है। अमन की यह बात विधि के दिल पर छाप छोड़ गई थी।
मनीष और विधि कनॉट प्लेस के बरामदे में चल रहे थे। मनीष उसे शादी की बात कर रहा था। पापा नवंबर या फरवरी में शादी के लिए कह रहे हैं। तुम क्या सोचती हो? विधि से मनीष ने कहा।
और बस कह दिया
तभी विधि ने अचानक मनीष से कहा। तुम्हें पता है मैं और अमन एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। यदि तुम जिंदगी में वापस नहीं आते तो, मैं और मैं अमन अभी रिलेशनशिप में होते। विधि ने कहा। यह सुनते ही मनीष से विधि की अंगुलियां छूट चुकी थी। तुम्हें पता है मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी थी। विधि ने कहा।
तुम्हें पता है तुम्हारी वजह से मैंने अमन को कितनी तकलीफ दी है? मैं तुम्हारी तुम्हारे साथ आगे नहीं बढ़ सकती मनीष।
विधि ने कहा।
यह कहते-कहते विधि का गला भर आया।
मनीष ने विधि से कहा। तुम अपनी जिंदगी में कोई बोझ मत रखना। विधि ने कहा तुम भी मनीष।
यह कहते हुए विधि वहां से चली गई। मनीष विधि को आखिरी मोड़ तक जाते हुए देख रहा था।
विधि अमन के घर के बाहर खड़ी थी। उसने दो बार डोरबेल बजाई। अमन ने दरवाजा खोला। वह उसके सामने खड़ा था। अमन विधि को देखकर अचंभित रह गया। अंदर आते हुए विधि सोफे पर बैठ गई।
क्या तुम पानी लोगी? अमन ने पूछा। विधि ने मना कर दिया और पूछा तुम उस दिन मेरे घर पर क्यों आए थे?
अमन अमन सोच रहा था कि इस बात का क्या जवाब दूं! अमन ने कहा मनीष कहां है, इस वक्त विधि?
विधि अमन की अंगुलियां पकड़ते हुए बोली, वह जहां से आया था। वही वापस चला गया अमन। उसका मेरी जिंदगी में आना ठीक नहीं था। सबको अपनी अपनी जिंदगी में वापस लौटना पड़ता है। विधि ने कहा।
तुम कहां हो अमन ने कहा। तुम्हारे पास अमन विधि ने कहा।
तो अब कभी जाना मत। बिल्कुल नहीं विधि ने धीरे से कहा। अब तो बताओ, तुम उस दिन मेरे घर पर क्यों आए थे? विधि में फिर से कहा?
तुम यदि उस दिन कोई कविता लिख कर भी मुझसे कहती तो, मैं समझ जाता और मैं तुमसे कहता मुझे तुमसे प्यार है। यह कहते हुए अमन ने विधि के होठों पर अपने होठ रख दिए।