यह लगभग सुबह का समय था जब स्वाति ने पहला कदम रखा मोहित ने चुपके से स्वाति के हाथ में अपनी अंगुलियों फंसा दी थी वह उसका स्पर्श महसूस कर सकती थी यह स्वाति का अपने ससुराल में पहला प्रवेश था उसने चावल से भरी थाली को अपने पैर से आगे किसका आया।
इस शादी भी कैसा रीति रिवाज है जिसमें लड़की को कुछ रीति-रिवाजों के बदले अपने घर को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ता है और एक नए परिवार के साथ अपनी जिंदगी बिताने के लिए तैयार होना पड़ता है मोहित और स्वाति मुश्किल से चार पांच बार शादी से पहले मिले होंगे।
स्वाति और मोहित के बीच इसके अलावा कुछ फोन कॉल और मैसेज भी हुए होंगे शायद फिर लोगों की इस भीड़ में अपने लिए कुछ अकेलेपन ढूंढने की कोशिश कर रहे थे जैसा कि हर नया कपल करता है उनको एक दूसरे को जानना अभी भी बाकी था।
छोटा सा घर
तीन-चार दिन बाद सब परिवार में सभी रीति रिवाज शादी को लेकर खत्म हो गए तो रिश्तेदार चले गए अब परिवार में केवल 5 लोग रह गए थे माता-पिता स्वाति मोहित और मोहित का छोटा भाई रमन और साथ में रह गया था एक छोटा सा घर।
मोहित के माता-पिता सोच रहे थे कि इसी दिन के लिए तो हम जिंदगी भर में इतनी मेहनत कर रहे थे अब तो बस गंगा स्नान करना बाकी रह गया है लेकिन मोहित की जिंदगी तो अभी शुरुआत हुई थी वह सुबह स्वाति का चेहरा देखता था शाम को प्यार का आश्वासन मिलता था।
यह शाम का समय था मोहित और स्वाति एक ही रूम में थे मोहित ने स्वाति के कंगन से खेलते हुए कहा। मेरी छुट्टियां खत्म हो रही है अब अगले सप्ताह से मुझे ऑफिस जाना होगा यह सुनकर स्वाति एकदम तंग कर बैठ गई उन्होंने कहा स्वती ने कहा तुम्हारी छुट्टियां इतनी जल्दी खत्म हो रही है और तुमने मुझे बताया भी नहीं उसने झटके से अपना हाथ मोहित के हाथ से छुड़ा लिया मोहित को अपनी पत्नी को समझाना ताकि रिश्ते इस तरीके से नहीं चलते हैं हाथ छोड़ने से अपनापन खत्म होता है और अब तो वैसे भी जिंदगी भर साथ रहना है।
स्वाति हनीमून पर जाने के लिए जिद कर रही थी मोहित ने प्यार से समझाते हुए कहा रमन अपनी कोचिंग सेंटर में चला जाता है मां बाबा के लिए अलग कमरा है हमारे लिए यहां पर बिल्कुल अकेले में वक्त होता है तो क्या इतना ज्यादा जरूरी है हनीमून पर जाना मोहित ने स्वाति को अपनी तरफ खींचते हुए कहा।
प्यार का मौसम
मोहित के लिए अब ऑफिस जाने का समय नजदीक आ चुका था दूसरे दिन सुबह उठकर मोहित ऑफिस जाने के लिए तैयार हुआ जैसे ही मोहित मोटरसाइकिल पर बैठा स्वाति दौड़ी हुई उसके पास आई स्वाति बोली मेरे लिए मोगरे के फूल लाओगे यदि अभी नहीं लाओगे तो मौसम चला जाएगा फिर कब लाओगे मोहित ने ध्यान से स्वाति का चेहरा देखा और कहा पक्का मैं तुम्हारे लिए हर रोज मोगरे के फूल लेकर आऊंगा यह कहते हुए मोहित अपनी बाइक को स्टार्ट करने लगा।
मोहित सोच रहा था कि भले ही मोगरे का यह मौसम चला जाए लेकिन दोनों के बीच प्यार का मौसम नहीं जाना चाहिए। मोहित ने ऑफिस से समय से पहले आने का प्लान बनाया समय से आधा घंटा पहले ही मोहित ऑफिस से बाहर निकल आया मोहित जैसे ही घर पहुंचा तो देखा कि स्वाति बैठकर माता-पिता के साथ शादी की तस्वीरें देख रही है।
रमन लगातार अपने माता-पिता और भाभी को शादी के किस्से सुना रहा था रमन कह रहा था कि किस से किस का झगड़ा हुआ था और बुआ जी फूफा जी हम से कैसे रूठ गए थे।
रमन के शादी के किस्से सुन सुनकर स्वाति धीरे-धीरे हंस रही थी माता-पिता भी शादी की तस्वीरें देख कर खुश हो रहे थे वे स्वाति से प्यार भी जता रहे थे मोहित यह सब कुछ दूर खड़ा देख रहा था मोहित चाहता कि यह लम्हा हमेशा के लिए यूं ही बना रहे वह घर की नई सदस्य स्वाति का चेहरा भी बार-बार देख रहा था।
एक छोटा सा वादा
मोहित अपने माता-पिता के धीरे-धीरे नजदीक पहुंचा जाकर अपनी मां की गोद में सिर रख कर सो गया मोहित की मां लगातार शादी की तस्वीरें देख रही थी मोहित की मां की आंखों में आंसू थे यह सब कुछ मोहित के पिता भी देख रहे थे वे सोचने लगे थे कि किस तरीके से मोहित की मां ने 4 सालों में अपना जीवन निकाल दिया और वह भी 50 साल और समझ सकती थी कि एक अध्यापक जिंदगी में इससे ज्यादा शायद कुछ देख भी नहीं सकते भी नहीं पाएगा थोड़ी देर सोचने के बाद मोहित के पिता ने कहा मोहित अब हमें ऋषिकेश हरिद्वार और गंगा जी एक बार भेज दे यह सुनकर मोहित ने कहा हां बिल्कुल मैं कुछ करता हूं हालांकि मोहित ने वादा तो कर लिया था लेकिन यह नहीं पता था कि इस वादे को पूरा किस तरीके से करना है।
मोहित जब कमरे में पहुंचा तो स्वाति एक तरफ मुंह करके सो रही थी मोहित का लाया हुआ मोगरे का फूल उपेक्षित सा एक कोने में पड़ा था मोहित ने स्वाति से धीरे से कहा सो गई क्या स्वाति ने कोई जवाब नहीं दिया मोहित उसकी नाराजगी को समझ रहा था वह इतने धीरे से स्वाति से कहा अगले महीने तक मुझे इंक्रीमेंट में मिल जाएगा इसके अलावा कुछ बचत भी हो जाएगी इस पैसे से हम कहीं अच्छी जगह घूमने चलेंगे हालांकि यह हनीमून तो नहीं होगा क्योंकि अब बहुत देर हो चुकी है लेकिन फिर भी उस से कम नहीं होगा तब तक मौसम भी सुहाना हो जाएगा मोहित ने अपनी बात खत्म की।
मोहित जी यह बात सुनकर स्वाति एकदम से उठ कर बैठ गई उसने कहा तो हम फिर कहां चलेंगे क्या किसी पहाड़ झरने या फिर किसी समुद्र के किनारे पर घूमने चलेंगे यह सुनकर मोहित सोच रहा था कि अभी तक तो यह भी नहीं पता है कि चलेंगे भी या नहीं फिर मैं स्वाति सेवाता कैसे कर दूं हालांकि मोहित ने धीरे से कहा जहां भी तुम कहो वही चल चलेंगे।
रात बहुत हो चुकी थी मोहित सो रहा था और सोच रहा था कि इन दो छोटे-छोटे बातों में से एक ही पूरा हो पाएगा एक स्वाति का घूमने जाने का वादा तो दूसरी तरफ माता-पिता का तीर्थ जाने का वादा भी था हालांकि वह दोनों में से किसी एक ही छोटे से वादे को पूरा कर सकेगा यही मोहित सोचकर चिंता में डूबा जा रहा था।
मोहित सोच रहा था कि मां-बाप को कह देता हूं कि आप बाद में घूम के आ जाना लेकिन फिर सोचने लगा कि इतने साल हो गए मां-बाप को कहीं बाहर गए हुए उन्होंने हमारे लिए अब एक मकान भी बना दिया है इसके अलावा हमारी शादी भी कर दी है मां-बाप तो यही चाहते हैं कि बच्चों को किसी तरीके की तकलीफ नहीं हो बदले में मैंने उन्हें कह दिया है यदि अभी मैं उन्हें मना करूंगा तो उनका इंतजार और भी ज्यादा लंबा हो जाएगा दूसरी तरफ से आती थी जो बहुत से अरमान लेकर मोहित के घर पर आई थी यदि उसे भी इनकार किया तो क्या होगा यही सोचकर मोहित सो गया जब सुबह उठा तो देखा कि एक मुस्कुराहट लिए स्वाति सो रही है फिर सोच रहा था कि मैंने स्वाति से वादा करके गलत किया है मैंने इसे झूठे वादे से ठग लिया है।
फैसले का दिन
रविवार का दिन था हर बार की तरह इस बार भी हम शतरंज की चौखट को लेकर बैठ गए हम शतरंज खेल ही रहे थे कि बाबा ने अचानक कहा मैंने पड़ोस के ट्रैवल एजेंट से बात की है उन्होंने कहा है कि सभी लोग एक साथ तीरथ होकर आ रहे हैं इसमें हरिद्वार ऋषिकेश और गंगा जी शामिल है मैं सोच रहा था कि सबके साथ ही चले जाए अलग से जाएंगे तो पता नहीं कहां जाना होगा और किस तरीके से जाएंगे तभी मोहित की मां भी आकर पास में बैठ गई मोहित के पिताजी ने कहा बोल बेटा क्या करना है पासी में स्वाति लहसुन की कलियों को निकाल रही थी उसके हाथ तेजी से चलने लगे मोहित कैसे बताएं कि उसने कहीं घूम कर आने के लिए स्वाति से भी वादा किया है वह बात को टालने के लिए कोशिश कर रहा था और कुछ नहीं बोला लेकिन ऐसा हो ना सका।
ऑफिस धीरे-धीरे खाली हो रहा था लेकिन मोहित का घर लौटने का मन ही नहीं कर रहा था। मोहित का साला में इंक्रीमेंट उसके बैंक अकाउंट में क्रेडिट हो चुका था उसके पास इसका मैसेज भी आ गया था वह अब अपने मां-बप और स्वाति की बातों को याद कर रहा था मोहित ने यह जिंदगी में कभी नहीं सोचा था कि उसे स्वाति और मां-बाप में से किसी एक को चुनना होगा यह किसी फैसले की वजह से ही क्यों ना हो?
मोहित बिना सोचे समझे बाइक पर बैठकर घर जा रहा था वह जैसे ही घर पहुंचा उसे याद आया आज माता-पता के लिए फल लेना भूल गया स्वाति के लिए भी मोगरे का फूल आज मोहित नहीं लाया था।
मोहित अभी घर पर आकर बैठा ही था कि रमन पास में आकर बैठ गया उसने कहा भैया मुझे क्रैश कोर्स ज्वाइन करना है 45 दिन का क्रैश कोर्स है मोहित ने कहा क्यों ज्वाइन नहीं करोगे आजकल कॉन्पिटिशन ही इतना है कोई कमी मत रख लेना नहीं तो नंबर नहीं आएगा फिर रमन ने कहा लेकिन कोर्स की फीस को एक साथ जमा करवाना पड़ेगा मोहित अपनी सालाना इंक्रीमेंट के पैसों को याद कर रहा था।
शाम का समय था मोहित और स्वाति बैठकर टीवी देख रहे थे स्वाति की नाराजगी को मोहित समझ पा रहा था। मोहित ने स्वाति को धीरे से अपनी तरफ कीचड़ को समझ पा रहा था कि शायद स्वाति और उसे थोड़े दिनों के लिए कहीं घूम कर बाहर आना चाहिए था। तभी रमन की आवाज आई भैया मैं अपने एडवांस क्रैश कोर्स का फॉर्म लेकर आ गया हूं इसे आप भी देख लीजिए।
सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए
दूसरे दिन शाम का समय था मोहित ने आज अपने पिताजी से बात करने की सोच ली थी शाम के समय पिताजी चौक में बैठे हुए थे उनके पास जाकर मोहित धीरे से बोला पिताजी मैंने रमन की फीस जमा करवा दी है स्वाति भी कह रही थी कि कहीं बाहर घूम कर आते हैं उसका बहुत मन था पिताजी थोड़ी देर सोचकर बोले लेकिन तुम्हारी माताजी का क्या उनसे भी तो वादा किया है यह सुनकर मोहित का दिल बैठ गया वह कुछ समझ नहीं पा रहा था।
गर्मियां निकल चुकी थी अब सर्दियों का मौसम आ गया था लेकिन जो एक चीज नहीं बदल रही थी वह था मोहित का बैंकबैलेंस उसके पास अभी भी पैसों की कमी थी हालांकि सालाना इंक्रीमेंट भी आने वाला था उसे कंपनी की तरफ से बोनस भी मिला है और उसके पास अब पर्याप्त पैसे हो गए हैं मोहित ने स्वाति को मैसेज किया इस मैसेज में बैंक की तरफ से भेजा गया क्रेडिट मैसेज था साथ बोला कि अपने लिए कोई एक अच्छी जगह सोच लो जहां तुम घूम कर आना चाहती हो हां अभी माता-पिता को मत बताना यह लिखते हुए मोहित को डर लग रहा था।
उसके पास दूसरा मैसेज आया जिसमें बैंक बैलेंस कटा हुआ था वह सोच रहा था कि स्वाति ने टिकट बुक करवा ली है दूसरे दिन ऑफिस से आया तो सब मुस्कुरा रहे थे पिताजी ने पास आकर कहा धन्यवाद बेटा तुम्हारी माता से किया गया तीर्थ का वादा पूरा हो जाएगा यह सुनकर मोहित अचंभित रह गया वह स्वाति की तरफ देखा स्वाति धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी स्वाति के पास में आकर मोहित ने पूछा क्या तुमने माता-पिता के लिए तीरथ के टिकट बुक करवा लिए हैं लेकिन तुमने ऐसा क्यों किया स्वाति ने धीरे से कहा सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए।।।।।।।