दोस्ती की रेस

 कक्षा में बहुत ज्यादा शोर हो रहा था। कक्षा में कौन क्या बोल रहा है? किसी के समझ में नहीं आ रहा था।

क्लास टीचर 

गुड मॉर्निंग टीचर 

पांडे सर के आते ही सारे बचे अपनी सीट की तरफ भागे। और सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए। पांडे जी ने कॉपी किताब टेबल पर रखते हुए क्लास का मुआयना किया। काले ओर नीले रंग के दो छाते जमीन पर रखे हुए थे। फर्श पर जगह जगह चौंक के टुकड़े भीकरे हुए थे। ब्लैक बोर्ड पर पेंटिंग की गई थी। बचे एक दुसरे को देख कर मुस्करा रहे थे। जैसे कोई शरारत टीचर के आ जाने से अधूरी रह गई हो।

ये क्या सब्जी मंडी बना रखा है, तुम लोगों ने क्लास को? पांच मिनट भी चुप नहीं रह सकते हो? टीचर ने बाद में वही प्रवचन दिए जो हर टीचर हर क्लास में अपने बच्चों को दिया करता है।

बच्चों ने हमेशा की तरह अपनी रटी रटाई जबान में कहा कि, सर मे सोर नहीं कर रहा था। ये ही सौर कर रहे थे।

यह है संभाजी नगर की हैप्पी एंडिंग इटरनेशनल स्कूल, और यह है पांडे जी, जो कुछ समय पहले ही इस स्कूल में आए थे। यह सातवीं बी क्लास है। पिछले साल तक यहां पर मॉनिटर का चलन नहीं था। और सभी बच्चे क्लास को सब्जी मंडी बनाने के लिए उतने ही उत्तरदाई थे। 

इन सब बातों से परेशान होकर टीचर ने फैसला किया कि, किसी एक बच्चे के फंडामेंटल राइट को बाधित करके उसे मॉनिटर बना दिया जाए। और वह बच्चा सीधा टीचर को रिपोर्ट करेगा। 

मॉनिटर को स्कूल में क्लास टीचर का असिस्टेंट माना जाता है। पिछले साल तक हमेशा फर्स्ट आने वाले माधव को क्लास मॉनिटर बना दिया गया। इससे उसका सब बच्चों में कद बढ़ गया।

इससे माधव की जिंदगी पर असर यह पद की अब वह टीचर के नहीं होने पर क्लास में बच्चो कुछ चुप रहने के लिए बार-बार बोलता रहता था। हालांकि उसकी एक भी बात बच्चे नहीं सुनते थे। और उन पर कोई असर नहीं होता था।

दीपक और संजय जैसे बच्चे तो टीचर के न होने पर क्लास से बाहर चले जाते हैं। और चुपचाप जाकर बैठ जाते हैं। खुद मॉनिटर बनेंगे तो पता चलेगा कि, मॉनिटर की बात नहीं मानने पर मॉनिटर को कितना बुरा लगता है। 

क्लास टीचर का आइडिया

यह बात माधव ने पांडे जी को बताई। माधव की बात सुनकर टीचर के दिमाग में एक आइडिया आया । सर ने बच्चों को चुप रहने के लिए कहा।

 उन्होंने कहा सभी चुप हो जाओ। इस क्लास की बहुत शिकायत आ रही है। आप वॉचमैन को चकमा देकर घर भाग जाते हो। अब से सभी बच्चों को तीन-तीन दिन के लिए मॉनिटर बनाया जाएगा। सप्ताह के शुरुआती तीन दिन एक बच्चा और अगले तीन दिन के लिए दूसरा बच्चा। और वह बच्चा सीधा मुझे रिपोर्ट करेगा। जो बच्चा सबसे ज्यादा शैतानी करेगा। उसके पेरेंट्स को स्कूल में बुलाया जएगा। तो आज से 3 दिन के लिए संतोष मॉनिटर रहेगा। उम्मीद है सभी बच्चे उसकी बात को ध्यान से सुनेंगे। टीचर ने माधव को उसकी पोस्ट से हटा दिया। जिससे वह खुद ही हटना चाहता था।

संतोष को आज अपने क्लास टीचर बहुत अच्छे लगें। टीचर ने सारी क्लास में उसे ही स्पेशल समझा था। शायद इसलिए क्योंकि वह हमेशा से क्लास में फर्स्ट आता था ।और टीचर की नकल भी नहीं उतरता था। इस बार भी क्लास में पहले नंबर पर संतोष ही आया था। माधव दूसरे नंबर पर आया था। माधव ने संतोष को सरसरी निगाहों से देखा। आज भी वह अपनी वही पुरानी शर्ट पहन कर आया है  उसका बैग भी कोई खास नहीं है। उसके जूते भी पॉलिश किए हुए नहीं है। लेकिन पढ़ने में वह बहुत तेज है। 

जिस दिन उसका उसका स्कूल में एडमिशन हुआ था। उसी दिन उसने माधव की फर्स्ट पोजीशन पर कब्जा कर लिया था। यह बात माधव को अच्छी नहीं लगी। माधव सोच रहा था की, काश संतोष स्कूल में आया ही नहीं होता। हिंदी के टीचर क्लास में आ चूके थे। उन्होंने सभी बच्चों को बुक निकलने के लिए कहा। हां तो हम कहां थे बच्चों, टीचर ने पूछा।

हां तो संतोष तुम बताओ कल हम कहां पर थे। संतोष अच्छा बच्चा था। वह रिवीजन करके आया था। उसने कहा सर गोलू और भोलू दो दोस्त थे। पंचायत गोलू को सरपंच बनवाना चाहती थी। लेकिन गोलू अपने दोस्त भोलू से अपनी दोस्ती नहीं तोड़ना नहीं चाहता था। इसलिए उसने गोलू को सरपंच बनने के लिए कहा। टीचर ने संतोष को शाबाश कहा।

यह बात सुनकर गांव वालों ने कहा क्या सही बात को सही नहीं माना जाएगा। बच्चों इस कहानी से हमें यही सीखने को मिलता है कि, सही बात सही होती है। फिर चाहे अपना कोई दोस्त ही क्यो ना हों। हमें हमेशा सही का ही साथ देना चाहिए। इतनी देर में घंटी बज गई। 

विराट कोहली का बेट 

सारे बच्चे बाहर भागे ।और स्कूल का सारा शोरगुल स्कूल के मैदान में इकट्ठा गया था। माधव सुन तुझे एक बात बताता हूं। यह बात कहता हुआ गोपाल माधव को स्कूल की दीवार के पीछे ले गया। वहा जाकर उसने दीवार के पीछे से एक बेट देख विराट कोहली का ओरिजिनल साइन किया हुआ बेट है। मेरे मामा मुंबई से लेकर आए थे। गोपाल ने कहा। 

माधव को पढ़ाई के अलावा किसी दूसरी चीज से लगाव नहीं था। जो उसे पसंद थी वह क्रिकेट थी। वह क्रिकेट के लिए कुछ भी कर सकता था। वह विराट कोहली का भी बहुत बड़ा फैन था। उसने सोचा कि यह बैट उसे मिलना चाहिए था। गोपाल को नहीं, क्योंकि विराट कोहली का वह सबसे बड़ा फैन है।

लेकिन माधव ने अभी भी हर नहीं मानी थी। उसने कहा यह ओरिजिनल नहीं है। यह कॉपी है। नहीं यह एकदम ओरिजिनल है। विराट कोहली ने सामने से साइन किया था। तू मामा से खुद ही पूछ लेना। इतनी देर में घंटी बज गई। तभी दोनों को याद आया कि जोश ही जोश में दोनों खाना तो भूल गए। दोनों क्लास की तरफ गए।

 अभी तक तीन चार क्लास निकल चुकी थी। लेकिन अभी भी माधव के मन से विराट कोहली का बेट नहीं गया था उसने धीरे से गोपाल से कहा एक बैट हमें भी अपने मामा से कहकर दिलवा दे। हम तुम्हें हमारी टेनिस वाली बोल दे देंगे। इस पर गोपाल ने अपनी छोटी उंगली से उसे जल्द ही मामा से मिलवाने का वादा कर लिया।

माधव के सपने में अभी भी वहीं बेट आ रहा था।

टीचर से शिकायत 

 सुबह-सुबह टीचर ने संतोष को याद दिलाते हुए कहा कि, आज तुम्हारे मनिटर बनने का तीसरा दिन है। तुम हमें सोमवार को पूरी जानकारी दोगे। यह नहीं की कोई अपना दोस्त है तो उसे तुम छुपा ले जाओ।

तभी संतोष सोच रहा था किस किस बात की शिकायत की जाए। पूरी क्लास ही बाते करती हैं। नकल भी टीचर की सभी बच्चे करते है। ऐसे में इन दो बातों की शिकायत टीचर से नहीं करने का फैसला संतोष ने किया। ये पीछे जो चौकड़ी है, वह मौका मिलते ही पीछे वाले पेड़ के लटक कर घर भाग जाते है। संतोष इन चारों को बिल्कुल भी पसंद नही करता था। उसका बस चलता तो वह इनकी शिकायत टीचर से जरूर करता। लेकिन ये इतने चालाक निकले की तीनों दिन शांति से क्लास में ही रहे।

तभी संतोष का ध्यान बाकी बच्चों पर गया। उसने देखा की गोपाल ओर माधव क्लास में नहीं है। वह सोच रहा था कि वह माधव की शिकायत टीचर से करे या नहीं। उसे पता था की माधव उसे पसंद नहीं करता था। वह सोच रहा था कि यदि माधव ओर उसकी दोस्ती हो जाए तो कितना अच्छा होंगा। माधव के पापा का खुद का बंगला था। उनके पास खुद की बढ़ी कार भी थी। जबकि संतोष का घर तो एक कमरे का था। वह कभी किसी के बंगले में नहीं gya था। 

तभी हिन्दी क्लास टीचर क्लास में आए।

 गोलू और भोलू की कहानी को जारी रखा। अंत में सत्य की जीत होती है। यह बात सुनकर संतोष को थोड़ा हौसला मिला। उसने सोचा की वह जो सही है वही करेगा। उसने उन दोनों की शिकायत छुटी में क्लास टीचर से कर दी।

 क्लास टीचर को एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ की, माधव ऐसा कर सकता है। दूसरे दिन क्लास टीचर ने माधव ओर गोपाल को बैंच पर खड़ा कर दिया। माधव के पापा को स्कूल बुलाया गया। उन्होंने प्रिंसिपल को सॉरी बोला। माधव ने संतोष को देख लेने की नज़र से देखा। माधव सोच रहा था की उसने जिंदगी में पहली बार गलती की है। उसमें ही उसे सजा मिल गई जबकि पीछे वाले बच्चे हमेशा शैतानी करते रहते हैं उन्हें कोई कुछ भी नहीं कहता है।

 इस तरीके से 15 दिन निकल गए। अब मॉनिटर बनने की बारी माधव की थी। माधव इंतजार कर रहा था कि कब संतोष कब कोई ग़लती करे, और कब वह उसकी शिकायत टीचर से करे।

 स्कूल में हर तीसरा शनिवार नो बैग डे होता हैं। इस दिन रेस कबड्डी जैसे खेल बच्चों को खिलाए जाते है। पहली बार इसमें बैडमिंटन को भी शामिल किया गया था। माधव अपने पिता के साथ हमेशा ही बैडमिंटन खेला करता था उसे बैडमिंटन के बारे में सब कुछ पता था ऐसे में माधव को ही बाकी बच्चों को बैडमिंटन सीखने की जिम्मेदारी दी गई। 

माधव ने चिड़ि  को जोर से उछला और उसे बैडमिंटन से मारा। यह मार इतनी तेज थी कि चिड़िया उछाल कर पेड़ में खो गई। यह देखकर संतोष तेजी से दौड़ता हुआ आया और पलक झपकते ही पेड़ पर चढ़ गया। और कुछ ही देर में उसने पेड़ के ऊपर से कहा, ले माधव उसने चिड़िया माधव की तरफ़ गिरा दी। वह विजेता के भाव से माधव के सामने आकर खड़ा हो गया। 

दोस्ती की रेस 

 तभी क्लास टीचर ने कहा कि अब रेस की बारी है। हम दो बच्चों की दाएं और बाईं टांग बांध देंगे और उन्हें साथ में दौड़ना है। जो सबसे पहले स्कूल की घंटी तक पहुंचेगा वह जीत जाएगा। सभी बच्चे अपनी अपनी पसंद बताने लगें। लेकिन टीचर कहा सुनने वाले थे उन्होंने अलग अलग बच्चों के जोड़े बनाने शुरू कर दिए। आपकों पता है संतोष का जोड़ा किसके साथ बना माधव के साथ।

दोनों धीरे धीरे दौड़ रहे थे। तभी संतोष ने माधव से कहा क्या तुम हमसे नाराज हों। माधव ने कहा होंगे क्यों नहीं। पिछले बैंच वाले बच्चे कितना सौर करते है। उनकी शिकायत किसी ने नहीं की। तुमने हमारी एक गलती पर शिकायत कर दी।

इस पर संतोष ने कहा क्या करते में झूठ नही बोल सका। अब तुम मॉनिटर हो तुम्हे भी अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। हम तो तुमसे कब से दोस्ती करना चाहते थे। ये कहते कहते सन्तोष ने कहा देखो सभी बच्चे आगे निकल गए हैं। हमे भी तेज दौड़ना चाहिए। अब दोनों ने अपनी गति बढ़ा दी। उन्होंने सभी को पीछे छोड़ते हुए रेस जीत ली। इसी के साथ उन्होंने दोस्ती ओर जिन्दगी की रेस भी जीत ली।

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