मुझे दोपहर हमेशा से ही लंबी लगती है जैसे दोपहर में आकर दिन ठहर सा जाता है। सब लोगों को रविवार का इंतजार होता है कोई मूवी का प्लान बनाता है तो किसी को लॉन्ग ड्राइव पर जाना होता है लेकिन मेरे लिए यह सबसे मुश्किल दिन होता है कोशिश करती हूं कि रविवार के लिए भी ऑफिस का काम अपने साथ ले आओ ताकि रविवार का दिन आसानी से कट जाए। पर आज तो काम भी कब का खत्म हो चुका था मैं उठकर रसोई में आ गई और चाय बनाने लगी इसी दौरान में चाहे को एकटक देखे जा रही थी ना जाने किस ख्याल में खो गई थी मैं। चाय की पत्ती पानी में उबल रही थी और अपना वजूद खो रही थी इसी दौरान मैंने रसोई की खिड़की से बाहर देखा तो एक कबूतर उदास पेड़ पर बैठा था।
तभी मुझे अचानक एक जीजा का ही हमेशा यह मन किसी में अपना अक्स क्यों तलाश था रहता है? क्यों हर खामोशी अपनी सी जान पड़ती है मैंने अपनी चाय कप में छानी और मैं हॉल में चली आई।
मैं चाय पी रही थी कि तभी फोन आया यह विराट का फोन था मैंने फोन उठाते हुए कहा हां बोलो विराट उसने कहा इस बार तुम मना मत करना थिएटर में नया प्ले लगा है और मेरे पास दो टिकट मौजूद है विराट ने जिद करते हुए कहा। लेकिन मैंने विराट की बात को बीच में काटते हुए कहा प्लीज विराट तुम जिद मत करो मुझे बहुत काम है हालांकि मैंने यह पूरी तरीके से झूठ कहा था लेकिन अब बाहर जाने का मन ही नहीं करता था।
तभी विराट ने कहा, अच्छा बोलो क्या काम है तुम्हें?
मुझे गैस करने दो विराट ने कहा तुम अभी तक सफाई कर चुकी होगी और अभी तक अपनी किताबें भी पढ़ कर कंप्लीट कर चुकी होगी रविवार के लिए ऑफिस से जो काम लेकर आई हो वह भी कंप्लीट कर चुकी हो सैड सॉन्ग सुन लिए य अभी उनको शाम के लिए रखा है विराट रुका जैसे वह मेरे हंसने का इंतजार कर रहा हूं मुझे आज तक समझ में नहीं आया है कि वह मेरी झूठ को इतनी आसानी से कैसे पकड़ लेता है?
विराट मेरे हंसने का इंतजार कर रहा था लेकिन आज कल जैसे हंसी कहीं गुम ही हो गई थी मैं चाह कर भी हंस नहीं पा रही थी। यार तुम ही नहीं लगता है कि तुम्हारी इस बार जिंदगी से अच्छा तो हमारा प्ले है जिसे देखकर हम थोड़ी देर खुश हो सकते हैं मैं कैसे बताती उसे इस खामोश जिंदगी को मैंने खुद ही चुना था एक नई शहर में नौकरी करने आ गई थी दोस्त पीछे छूट गए थे।
विराट
मेरी जिंदगी में अभी तक कोई नहीं था ना कोई मोहब्बत विराट हमारी ऑफिस में पिछले ही साल आया था और फिर वह मेरी जिंदगी में शामिल हो गया।
पहले दिन हमारी औपचारिक मुलाकात हुई थी उसके बाद अक्सर वह मेरे क्यूबिकल तक आ जाता था और मुझसे पूछता था तुम्हारा मन लग जाता है यहां लास्ट टाइम तुम घर कब कही थी कब गई थी इसी तरीके के अनंत सवाल।
मैंने कभी भी विराट से मिलने जुलने की कोशिश नहीं की थी वह तो उसी ही ने कोशिश की थी मेरे से मिलने जुलने की और उसकी कोशिशों के परिणाम स्वरूप हम दोनों दोस्त हो गए थे मैं उससे कोई बात नहीं भी बताना चाहती थी तो भी वह मेरी बात समझ जाता था।
मैं जब ऑफिस में थकी हुई नजर आती तो वह चुपके से मेरे लिए कॉफी ले आता मुझे रात तक यदि ऑफिस में किसी दिन काम करना पड़ता था तो कोई ना कोई बहाना बनाकर विराट भी मेरे साथ रुक जाता था।
जब वह ऑफिस में रुक जाता था तो मैं कहती थी तुम क्यों मेरे लिए तंग होते रहते तो विराट झूठा बहाना करते हुए कहता तुम्हारे लिए कौन रुका है भाई हमें भी बहुत काम है फिर वह खुद ही हंस देता था।
आज ऑफिस में बहुत काम था। मैंने अपना असाइनमेंट कंप्लीट करते हुए मेल किया और अपना सिर कुर्सी पर टिका दिया।क्या हुआ सिर में दर्द है विराट की आवाज आई वह एकदम मेरी कुर्सी के पीछे खड़ा था।
मैं कुछ बोलती इससे पहले ही विराट ने मेरे केबिन से बाम निकाला और मेरे सर पर मरने लगा उसके अंगुलियों की स्पर्श से मैं एक अलग ही दुनिया में पहुंच गई थी।
विराट के इस इस पर से ना जाने मुझे क्या हुआ और मैंने उसके हाथ को झटके से दूर कर दिया उसने पूछा क्या हुआ कुछ नहीं मैं ठीक हूं आई एम फाइन मैंने गुस्से में कहा अरे बाबा क्या हुआ आई एम सॉरी ठीक है मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आता हूं मेरे इस बेरुखी व्यवहार के बावजूद उसे कितनी चिंता थी मेरी मैं सोच रही थी।
तू क्या सच है जो मैं उसकी आंखों में अक्सर देखती हूं इसका जवाब भी मुझे जल्द ही मिल गया। विराट मुझे ड्राप करने घर तक आया था मैं गाड़ी से उतरने लगी तो उसने मेरा हाथ थाम लिया।
वह शुक्रवार की शाम थी।
उसने कहा मैं तुमसे कब से यह बात कहना चाहता था लेकिन तुम मुझसे पहले दीक्षा मुझसे प्रॉमिस करो कि हम हमेशा दोस्त रहेंगे। मैं कुछ नहीं बोली विराट के चेहरे पर तनाव साफ नजर आ रहा था।
दीक्षा में तुमसे बहुत विराट ने इतना कहा ही था कि मैंने कहा मुझे देर हो रही है मुझे जाना है ठीक है कल मिलते हैं मैं गाड़ी से उतरकर तेज कदमों से घर की तरफ आगे बढ़ने लगी मैं महसूस कर सकती थी कि विराट अभी भी मुझे देखे जा रहा था। वाक्य जिनमें आज मैंने मायूसी भर दी थी।
जिन आंखों में मेरे लिए बेशुमार प्यार था मैं उन नजरों से कहीं दूर भाग जाना चाहती थी।
मैं अपने अतीत को दोहराने का मौका नहीं देना चाहती थी मैं घर पर आ गई थी लेकिन मन में अभी भी सकून नहीं था।
यादें
मैं कमरे में बत्ती बुझाई अकेले अंधेरे में बैठी थी मुझे अब अपना अतीत याद आ रहा था उन दिनों मेरा एमबीए कंप्लीट हो गया था और मेरे शहर में ही मुझे नौकरी मिल गई थी। इसके बाद में मुझे लगातार शादी करने के लिए कह रही थी और 1 दिन में उनकी जीत के आगे हार गई और शादी के लिए हां कर दी हमारी किसी दूर के रिश्तेदार ने मेरे लिए एक रिश्ता लाया अनंत का रिश्ता था वह मैं शादी से पहले आनंद को पूरी तरीके से संबंध लेना चाहती थी मन में पूरी तसल्ली उसके बारे में कर लेना चाहती थी।
घर दिखाने के बहाने जब हैं उनसे पहली बार बात हुई तो मैंने उससे बहुत सारे सवाल पूछे थे जो बोर ग्रेजुएशन के अलावा मैंने उससे पूछा था कि उसे किताब कौन सी पसंद है और भी जिंदगी से जुड़े हुए दूसरे सवाल जो मुझे लगता था कि पूछना जरूरी है।
मैं तुम्हें से कोई सवाल नहीं पूछना चाहता हूं मैं समझना चाहता हूं तुम्हें तुम्हारे साथ वक्त गुजार कर उसके बाद भी हमारी कई मुलाकात हुई थी मुझे अच्छा लगता था कि वह मेरी पसंद और नापसंद का ख्याल रखता था मुझे उसके साथ वक्त बिताना अच्छा लगने लगा।
2 महीने बाद हम दोनों ने ही घर पर शादी के लिए हां कह दी हमारी सगाई तुरंत हो गई और शादी के बारे मैं फैसला हुआ कि 6 महीने बाद दोनों की शादी होगी।
एक दिन उसने मुझसे पूछा दीक्षा क्या तुम कभी उदयपुर गई हो मैंने कहा नहीं तो चलोगी क्या इस वीकेंड यह सुनकर मैं थोड़ा असहज हो गई क्या हुआ वक्त नहीं है या जाना नहीं चाहती हो अनंत नहीं कहा नहीं वह बात नहीं है मैं घर पर क्या बोलूंगी मैंने कहा अरे बाबा कुछ भी बोल देना ऑफिस ट्रिप है यही बोल देना 2 दिन की ही तो बात है अनन्त ने कहा।
मैं अभी भी चुप थी देखो यदि तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है या तुम मेरे साथ कंफर्टेबल नहीं हो तो तुम कह सकती हो यह बात कोई बात नहीं है मैंने उसे बीच में ही रोक दिया ऐसी बात नहीं है ना मैंने तुमसे प्यार किया है और प्यार के साथ भरोसा भी तो आता है मैं चली गई थी उसके साथ उदयपुर और यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी उस रात उसने मेरे साथ जो किया वह दोबारा नहीं दोहरा नहीं देना चाहती हूं मैं उसे बार-बार धकेले जा रही थी। मैं लगातार चीखती रही लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा वह रात मेरे लिए जिंदगी की सबसे भारी रात थी अगले दिन सुबह में अकेले ही वापस लौट आई थी।
मैंने दूसरे दिन घर पर आकर मां को सब बता दिया था लेकिन उन्होंने बीच में ही मेरी होठों पर अंगुली रख दी एकदम चुप रह जा तेरी शादी हो जाएगी तो सब कुछ सही हो जाएगा लेकिन यह बात भी मैं उन्हें बड़ी मुश्किल से समझा पाई थी कि शादी के बाद भी कुछ नहीं बदलने वाला है मैं ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं रह सकती जहां पर मेरी अभिव्यक्ति की कोई पूछना हो और मेरी मर्जी के खिलाफ काम हो पुलिस केस तो दूर वह मुझे चुप रहने के लिए कह रही थी।
सिर्फ दोस्त
रात भर मुझे नींद नहीं आई थी इसलिए सुबह में देरी से उठी सुबह उठकर मैंने अपने स्पोर्ट्स शूज पहन लिए और कानों पर हेडफोन लगा लिए मैं जोगिंग के लिए निकल गई और बहुत देर तक दौड़ती रही मैं आज ऑफिस नहीं जाना चाहती थी सच कहूं कहूं तो मैं विराट का सामना नहीं करना चाहती थी मैंने 4 दिन के लिए लीव एप्लीकेशन ईमेल कर दी।
इन 4 दिनों में विराट की गई कॉल और मैसेज आए जिनका मैंने कोई जवाब नहीं दिया। चौथे दिन शाम को मैं घर पर अकेली बैठी थी तभी डोर बेल बजी दरवाजा खोला तो सामने विराट था उसने मुझे दरवाजा खोलते ही पूछा तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रही हो आर यू ऑल राइट उसने मुझे पीछे धकेलते हुए घर में प्रवेश किया। मैं चाय पी रही थी तो विराट को भी चाय के लिए पूछ लिया चाय पियोगे उसने ना में गर्दन हिलाई तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रही हो एक बार फिर से विराट ने पूछा मैंने कोई जवाब नहीं दिया तुम मेरा सामना नहीं करना चाहती हो मुझसे भाग रही हो है ना तभी मैंने धीरे से जवाब दिया विराट हम दोस्त ही अच्छे हैं सिर्फ दोस्त।
मैं तुम्हें हा नहीं कह सकती विराट हां कहना नहीं चाहती हो या कह नहीं रही हो विराट ने फिर से पूछा मैंने कहा हमारी पसंद और नापसंद बिल्कुल अलग है मैं इतना ही कह पाई थी। मुझे तो ऐसा नहीं लगता विराट बोला मैं चुपचाप उसकी तरफ देखती रही झूठ ना तुम्हें बोलना आता है ना मुझे फिर कैसे हुए हम दोनों अलग?
विराट से मैंने नजरों को हटा लिया था तुम मुझे कोई इसकी वजह तो बताओ कोई वजह है तो तुम मुझसे बचा सकती हो एक बार फिर से विराट ने मुझे कहा कोई वजह जरूरी है होना जरूरी है क्या विराट क्या मेरा फैसला मायने नहीं रखता तुम्हारे लिए लेकिन फिर भी कोई वजह तो होगी विराट ने कहा। विराट की आंखों में मुझे खोने का डर साफ नजर आ रहा था।
मैं नहीं अबकी बार तेज आवाज में कहा है वजह विराट है। ऐसे ही शुरू हुआ था सब कुछ मुझे याद आ रहा था। फिर ऐसे ही दोस्ती हुई थी और दोस्ती मोहब्बत में बदल गई थी मेरी सिसकियों में कई शब्द दब गए थे लेकिन हिम्मत करके मैंने सब कुछ विराट को बता दिया।
जब भी कोई मुझे छूने की कोशिश करता तो मुझे ऐसा लगता था कि हजारों आंखें मेरी तरफ देख रही है मेरे जिसम में एक चीज उठ जाती थी लगता था कि जैसे हर कोई मुझे नोच कर खाने के लिए तैयार है ऐसे में वही गलती में दोबारा कैसे करती यह बात विराट भी समझ गया था और उसने फिर कभी मुझे दोबारा नहीं पूछा था इन बातों को एक महीना गुजर गया था विराट फिर से मेरे साथ एक दोस्त की तरह बना रहा वह मेरे साथ बहुत वक्त गुजरता था।
जिंदगी के हमारे कुछ दुख डर की शक्ल ले लेते हैं वह हमारे जमीर और दिल के साथ बिल्कुल परछाई की तरह चिपक जाते हैं। मुझे कोई भी छूटा तो वही डर मेरी जिंदगी में फिर लौट आता था विराट का अंगुलियों से छू जाना या फिर थिएटर में मूवी देते समय उसका मेरे कंधे पर महज हाथ रख देना।
मैं कैसे भूल सकती हूं उस रात को जब भी मुझे कोई छूता तो वह रात मेरी जिंदगी में एक बार फिर से लौट आती थी वैसे लगता था कि जैसे हजारों आंखें मुझे घूर रही हो और हर कोई मुझे नोच कर खा जाना चाहता हूं यह बात अब विराट भी समझ चुका था और उसने मुझे दोबारा कभी नहीं पूछा इन बातों को लगभग एक महीना हो गया था और विराट और मैं लगातार ऑफिस आ रहे थे अब वह मेरे साथ और भी ज्यादा वक्त गुजारने लगा एक दोस्त की तरह।
एक कतरा मोहब्बत
विराट और मैं एक बार फिर से दोस्त बन चुके थे वह कभी कभी जिद करके मेरे घर पर भी आ जाता था एक दिन वह दराज से मेरा एक पुराना एल्बम ढूंढ लाया था उसमें मेरी बहुत सारी यादें जुड़ी थी किसी फोटो में मैं दोस्तों के साथ हंस रही थी तो किसी फोटो में मैं मां के साथ मौजूद थी कहीं अकेले घूमने जाने की तस्वीरें मौजूद थी ऐसे ही हो जाओ ना मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ विराट ने कहा मुस्कुराते हुए तुम कितनी अच्छी लगती हो विराट ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।
फिर से मैं कैसे मुस्कुरा सकती हूं एक बार फिर से मैंने रोते हुए कहा क्यों नहीं मुस्कुरा सकती हो तुम ही लोगों को जिंदगी में दोबारा मौका देना पड़ेगा तुम्हें अपनी जिंदगी को मौका देना पड़ेगा सब नहीं होते हैं ऐसे दीक्षा विराट ने कहा।
जिंदगी की यह खामोशी मैंने खुद नहीं सुनी थी यह तो मुझे दूसरों ने दी है मैंने रोते हुए कहा। किसी को सौंप देना अपने आप में लाचार बन जाना होता है यह मुझे जिंदगी नहीं सिखाया है और यह मुकाम में उसे नहीं दे सकती हूं ना खुद को।
दुख की बातें सुनी और सुनाई जा सकती है लेकिन उन्हें किसी के साथ बांटा नहीं जा सकता है अपने अपने दुख और अपने अपने डर हमें जिंदगी में खुद ही जीने पडते हैं।
पर यह सब तब आसान बन जाता है जब कोई आपके लिए अपने दिल में बहुत सारी मोहब्बत लिए आपके साथ हो विराट कुछ ऐसा ही तो बन गया था पिछले कुछ महीनों से मेरे लिए।
वह सुबह ऑफिस जाने के लिए घर के बाहर मेरा इंतजार करता रहता ऑफिस से वापस आते समय भी विराट मेरा इंतजार करता और मेरे साथ आता वह इतनी बातें करता कि उसकी बातें कभी खत्म ही नहीं होती हमेशा बातों बातों में मुझे कहता रहता जिंदगी कभी रुक नहीं नहीं यह नहीं चाहिए कम से कम पूरी यादों के साथ तो बिल्कुल भी नहीं तुम क्यों कोई तालाब बन जाना चाहती हो नदी बन जाओ ना विराट ने कहा। हमेशा बहती हुई और बुरी यादों को पीछे छोड़ दी हुई वह नदी जो जानती है कि कितनी सुंदर किनरे उसका इंतजार कर रहे हैं।
मैं हमेशा सुनती रहती उसकी बात।मैं मन के उस अंधेरे कोने को टटोल थी रहती और देखती की क्या कोई उम्मीद की किरण अभी तक भी वहां पहुंची है या नहीं मैं उम्मीद की किरण की गर्मी को महसूस करना चाहती थी अपनी जिंदगी में मैं कभी चुप रहती तो वह मुझसे नाक पर अंगुली रखते हुए पूछता क्या सोच रही हो मैं उसे जवाब देती कुछ नहीं जानता हूं सोच रही हो मेरे बारे में विराट कहता।
आजकल मेरा कोई भी वक्त अकेले नहीं गुजरता था ना उदासी में मैं उसके साथ बहुत सारा वक्त बिताने लगी थी वह भी बेफिक्री के साथ। जो मैं अभी तक नहीं कर पा रही थी। सीमाओं के लहंगे जाने का डर उसने मुझे कभी महसूस नहीं होने दिया था।
आज सोमवार था। हमने वीकेंड साथ में बिताया था लेकिन आज विराट ऑफिस नहीं आया था उसे कंपनी ने प्रेजेंटेशन के लिए किसी दूसरे शहर में बाहर भेजा था। विराट 7 दिन के लिए किसी दूसरे शहर में गया था कितना सोना लग रहा था उसके बिना मैं मन ही मन सोच रही थी एक बार के लिए मेरे मन में झिझक आई लेकिन फिर मैंने खुद को स्वतंत्र छोड़ दिया।
आज 1 सप्ताह बाद मेरी और विराट की मुलाकात हुई थी। मुझे मिस तो नहीं किया ज्यादा विराट ने कहा नहीं बिल्कुल नहीं मैंने कहा यह बात सुनकर विराट मायूस हो गया मैंने मुस्कुराते हुए उसके नाक पर उंगली दिखा दे जैसा कि वह किया करता था हमेशा मेरे साथ।
मैंने तुम्हें बहुत ज्यादा मिस किया विराट मैं उसे यह बताना चाहती थी लेकिन तुम्हें महसूस करने के लिए तुम्हारा ना होना जरूरी था विराट मैं सोच रही थी।
तुम हमेशा रहोगे ना मेरे साथ मैंने धीमी आवाज में पूछा उसने अपनी उंगलियां मेरे हाथों में फंसा ली हां बिल्कुल तुम्हारे साथ रहूंगा मैं तुम्हें जाने को कहूंगी तब भी विराट ने गहरी सांस लेते हुए कहा हां तब भी।